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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी के सामने हुए पेश

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत अपने और अन्य के खिलाफ उर्वरक निर्यात में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच में पूछताछ के लिए सोमवार को यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत अपने और अन्य के खिलाफ उर्वरक निर्यात में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच में पूछताछ के लिए सोमवार को यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए। 
सूत्रों ने बताया कि अग्रसेन का बयान धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया। अग्रसेन एक वकील के साथ करीब साढ़े ग्यारह बजे ईडी के सामने पेश हुए। इस मामले में अग्रसेन गहलोत से पहले भी पूछताछ हो चुकी है लेकिन उन्होंने ईडी की कार्रवाई से राहत का अनुरोध करते हुए अदालत का रुख किया था। 
राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल में अग्रसेन को जांच में एजेंसी के साथ सहयोग करने और ईडी को उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था। एजेंसी ने पिछले साल जुलाई में राजस्थान में अग्रसेन के कारोबार से जुड़े परिसरों पर छापा मारा था। यह छापेमारी तब हुई जब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी घमासान चल रहा था। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने कहा था कि वह केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई ऐसी कार्रवाइयों से नहीं डरेगी। इस मामले में अग्रसेन गहलोत के बेटे अनुपम ने भी एजेंसी के सामने अपना पक्ष रखा था। 
ईडी ने सीमा शुल्क विभाग के 2007-09 के एक मामले के आधार पर पीएमएलए के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद पिछले साल कार्रवाई की थी। सीमा शुल्क विभाग के मामले में आरोप लगाया गया था कि किसानों के लिए सब्सिडी वाले म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) की खरीद और निर्यात में अनियमितताएं हुईं और 2013 में इस मामले की जांच को अंतिम रूप दिया गया था। 
ईडी ने अग्रसेन गहलोत, उनकी कंपनी अनुपम कृषि तथा अन्य के खिलाफ कथित ‘‘तस्करी गिरोह’’ की जांच और धन शोधन के आरोपों के लिए सीमा शुल्क विभाग की प्राथमिकी और एक आरोपपत्र (13 जुलाई 2020 को दाखिल) का संज्ञान लिया। ईडी के सूत्रों ने आरोप लगाया कि अग्रसेन गहलोत की कंपनी ने कथित तौर पर 35,000 मीट्रिक टन एमओपी की हेरफेर की जिसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य 130 करोड़ रुपये था। 

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