राजस्थान में बीते एक महीने से जारी सियासी ड्रामा आखिर अब खत्म हो गया है। इस बीच, कांग्रेस विधायक विश्वेन्द्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। सिंह कांग्रेस के उन 19 विधायकों में से एक हैं जिन्होंने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी और पार्टी ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया था।
सिंह ने कहा कि कुछ मुद्दे थे और वे अपने खिलाफ मामलों के बाद राजस्थान लौटने से डर रहे थे और अब जब पार्टी आलाकमान ने हस्तक्षेप किया है तो उन्हें आश्वासन दिया गया है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि पार्टी ने सिंह को प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया था जिसे बृहस्पतिवार को दोबारा बहाल कर दिया गया। इसके बाद सिंह यहां पार्टी विधायक दल की बैठक में शामिल हुए।
इस घटनाक्रम से ठीक पहले उन्होंने ने कहा कि पार्टी में इससे पहले भी अधिक गंभीर संघर्ष हुए हैं लेकिन पार्टी हमेशा एकजुट और विजयी रही, इस बार भी विजय रही है। हम संवाद की प्रक्रिया में हैं और आलाकमान हस्तक्षेप कर रहा है और निश्चित रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार को सुचारू रूप से चलाना होगा। गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने की कथित मंशा के आरोपों को खारिज करते हुए सिंह ने कहा कि वह पार्टी आलाकमान को कुछ बातें बताने गए थे, और राजस्थान पुलिस द्वारा झूठे मामले दर्ज किए जाने के बाद वापस आने से डर रहे थे।
निलंबन रद्द होने से पहले उन्होंने कहा, यह हमारा कर्तव्य है कि विधायकों की सुरक्षा बनी रहे और बदले की भावना से कोई कार्रवाई न की जाए। आलाकमान ने हमें विश्वास इसका विश्वास दिलाया है। उन्होंने कहा कि विधायकों को शिकायत थी कि उनके काम नहीं हो रहे हैं और वे निर्वाचन क्षेत्रों में अपने लोगों को समझाने में सक्षम नहीं थे कि ऐसा क्यों है। उन्होंने कहा कि ‘पार्टी और सरकार के बीच तालमेल की कमी थी।’ पूर्व मंत्री ने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता है और उन्हें दी गई किसी भी जिम्मेदारी को पूरा करेंगे और उम्मीद जताई कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा घोषित तीन सदस्यीय समिति विधायकों की शिकायतों का समाधान करेगी।