राजस्थान का कोरोना वायरस के नए स्वरुप से लोगों में काफी खौफ बना हुआ है। ऐसे में राजस्थान में रेजिडेंट चिकित्सकों के सोमवार रात से हड़ताल पर चले जाने में चिकित्सीय सेवाएं प्रभावित हुई है। हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों में बाहृय रोगी विभागों (ओपीडी) में मरीजों का भार बढ़ गया है। अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सका मरीजों को का उपचार कर रहे हैं।
जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स के अध्यक्ष डॉ. अमित यादव ने बताया कि ‘‘ राज्य सरकार ने हमारी जायज मांगों को तत्काल प्रभाव से पूरा करने के लिये कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। सरकार की उदासीनता को देखते हुए हमारे पास सोमवार की रात अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि चूंकि पहले वर्ष में रेजिडेंट चिकित्सक नहीं थे और कोरोना महामारी के कारणा अन्य रेजिडेंट चिकित्सकों पर भारी काम का बोझ था। शैक्षणिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इसलिये रेजिडेंट चिकित्सकों की मुख्य मांग में से पेपर, पोस्टर्स और थिसिस पेश करने में छूट मिलना शामिल है। मांगों के ज्ञापन में नीट-पीजी काउंसलिंग से संबंधित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के साथ समन्वय करने के लिये सकारात्मक प्रयास भी शामिल हैं।
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उन्होंने कहा कि रेजिडेंट चिकित्सक अस्पतालों में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और भामाशाह योजना से संबंधित लिपिकीय कार्यों में लगे हुए हैं, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिये और अस्पतालो में मरीजों को देखने के लिये कम समय मिलता है। उ्न्होंने कहा, ‘‘ हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें इन लिपिक कार्यों से अलग किया जाये ताकि हम चिकित्सा कार्यों और शिक्षण कार्यों में समय दे सकें।’’
रेजिडेंट्स डॉक्टर राज्य सरकार से सीनीयर रेजिडेंट के पदों में बढोतरी की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘ राज्य सरकार की ओर से हमें बातचीत के लिये निमंत्रण नहीं मिला है। हमने सोमवार को राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के साथ बैठक की थी, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही।’’
उधर सरकारी अस्पतालों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में मरीजों की लंबी कतार देखने को मिली। अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सक इंतजाम और मरीजों को देख रहे हैं। जयपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर, झालावाड़, बीकानेर, और जोधपुर के मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट चिकित्सक हड़ताल पर हैं।