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राजस्थान में बिजली दरों में संशोधन, आरईआरसी ने नयी दरों को मंजूरी दी

राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) ने कुछ श्रेणी के घरेलू व अन्य उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें गुरुवार को बढ़ा दीं। बढ़ी हुई दरें एक फरवरी से लागू होंगी और इससे राज्य की बिजली कंपनियों को सालाना 4800 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलने का अनुमान है जो कि 7000 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रही हैं।

राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) ने कुछ श्रेणी के घरेलू व अन्य उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें गुरुवार को बढ़ा दीं। बढ़ी हुई दरें एक फरवरी से लागू होंगी और इससे राज्य की बिजली कंपनियों को सालाना 4800 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलने का अनुमान है जो कि 7000 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रही हैं। 
आयोग ने इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि बीपीएल व आस्था श्रेणी के उपभोक्ताओं के साथ साथ 50 यूनिट प्रति माह तक की खपत वाले लघु उपभोक्ताओं के लिए दरें नहीं बढ़ाई गयी हैं। यानी घरेलू श्रेणी में दरें उन उपभोक्ताओं के लिए बढ़ेगी जिनकी मासिक बिजली खपत 50 यूनिट से अधिक है। 
वहीं राज्य सरकार ने कहा है कि राज्य के 57 प्रतिशत बिजली उपभोक्ताओं पर दरों में इस बढ़ोतरी का कोई असर नहीं होगा और 20 लाख बीपीएल, 42 लाख छोटे घरेलू उपभोक्ता व 14 लाख किसानों के लिए बढोत्तरी का भार सरकार उठाएगी। 
आयोग के चेयरमैन श्रीमत पांडे ने कहा,’ बिजली दरों में कुल मिलाकर 11 प्रतिशत की बढोतरी की गयी है जिससे बिजली कंपनियों को सालाना 4800 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।’ 
उन्होंने कहा कि आयोग ने कुछ औद्योगिक श्रेणी में 55 से 85 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी दी है। मोटे तौर पर आयोग ने सामान्य घरेलू उपभोक्ता, घरेलू उपभोक्ता, अघरेलू उपभोक्ता व कृषि श्रेणी में यह बढ़ोतरी 40 पैसे से 1.05 रुपये प्रति यूनिट तक है। औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा शुल्क में कोई बढोतरी नहीं की गयी है। 
आयोग के अनुसार जयपुर, अजमेर व जोधपुर विद्युत वितरण निगमों ने वर्ष 2019-20 के लिये कुल 52640 करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व आवश्यकता व राज्य सरकार से अनुदान के बाद कुल 7142 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटे का अनुमान व्यक्त किया। 
निगमों ने अपने घाटे को पूरा करने के लिए 5175 करोड़ की राजस्व वृद्धि का प्रस्ताव किया था। लेकिन आयोग ने जनसुनवाई व भागीदारों से मिले सुझावों पर विचार करते हुए सालाना 4800 करोड़ रुपये तक की वृद्धि को मंजूरी दी है। यानी उनकी आय लगभग 400 करोड रुपये महीना बढ़ेगी। 
आयोग के विस्तृत आदेश के अनुसार राज्य में बिजली शुल्क दरों में तीन साल पांच महीने बाद बदलाव किया गया है। इससे पहले आयोग ने सितंबर 2016 में दरों में बदलाव किया था। इसके अनुसार लगभग 16 लाख बी.पी.एल व आस्था कार्ड धारकों को राहत देने के लिए जिनकी मासिक खपत 50 यूनिट तक प्रति माह है, उनके लिए विद्युत दर व स्थायी शुल्क में कोई बढोतरी नहीं की गयी है। वहीं औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिये ऊर्जा शुल्क में कोई बढोतरी नहीं की गई है। 
वहीं आयोग के आदेश के बाद ऊर्जा मंत्री डॉ बी.डी. कल्ला ने कहा कि राज्य के 57 प्रतिशत उपभोक्ताओं पर बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का कोई असर नहीं होगा। 20 लाख बीपीएल, 42 लाख छोटे घरेलू उपभोक्ता व 14 लाख किसानों पर बढोत्तरी का भार सरकार उठाएगी। इस प्रकार राज्य के कुल 133 लाख उपभोक्ताओं में से 76 लाख उपभोक्ता जो कि कुल उपभोक्ताओं का 57 प्रतिशत है, पर इस बढ़ोतरी का कोई असर नहीं पड़ेगा। 
कल्ला ने कहा कि इस समय राज्य सरकार 14 लाख किसानों को विद्युत दरों में 12500 करोड़ रुपये का अनुदान दे रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह घोषणा की थी कि पांच साल तक किसानों की विद्युत दरों में वृद्धि का भार सरकार स्वयं वहन करेगी। हम इस वादे को पूरा करते हुए विनियामक आयोग द्वारा किसानों पर की गई 2347 करोड़ की बढोतरी का समस्त भार उठाएंगे। उन्होंने कहा— इसी तरह 42 लाख छोटे उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले 122 करोड़ रुपये के भार को भी सरकार वहन करेगी। 

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