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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम सियासी उबाल, CM गहलोत बोले-केंद्र की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेदार

अशोक गहलोत ने कहा है कि कोरोना के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है एवं राज्य का राजस्व घटा है। लेकिन आमजन को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही वैट में 2% की कटौती की है।

देश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर सियासी उबाल भी बढ़ने लगा है। पिछले 11 दिनों से पेट्रोल और डीजल के लगातार दाम में बढ़ोतरी जारी है। इसका सीधा असर देश के आम जनता पर पड़ रहा है। बढ़ते दामों के लिए केंद्र की गलत आर्थिक नीतियों का परिणाम बताते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार पर निशाना साधा है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने शनिवार को ट्वीट किया,’ पेट्रोल-डीजल की कीमतों से आमजन त्रस्त है। पिछले 11 दिनों से लगातार दाम बढ़ रहे हैं। यह मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों का नतीजा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल संप्रग सरकार के कार्यकाल के समय से आधी हैं लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।’ 
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गहलोत के अनुसार मोदी सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये व डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगाती है। जबकि 2014 में संप्रग सरकार के समय पेट्रोल पर सिर्फ 9.20 रुपये व डीजल पर महज 3.46 रुपये उत्पाद शुल्क था। मोदी सरकार को आमजन के हित में अविलंब उत्पाद शुल्क घटाना चाहिए। 
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि मोदी सरकार ने राज्यों के हिस्से वाले मूल उत्पाद शुल्क को लगातार घटाया है और अपना खजाना भरने के लिए केवल केंद्र के हिस्से वाली अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी व विशेष एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाया है। इससे अपने आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए राज्य सरकारों को वैट बढ़ाना पड़ रहा है। 
उन्होंने कहा है कि कोरोना के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है एवं राज्य का राजस्व घटा है। लेकिन आमजन को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही वैट में 2% की कटौती की है। मोदी सरकार ऐसी कोई राहत देने की बजाय पेट्रोल-डीजल की कीमतें रोज बढ़ा रही है। 
गहलोत के अनुसार,’कुछ लोग अफवाह फैलाते हैं कि राजस्थान सरकार पेट्रोल पर सबसे अधिक कर लगाती है इसलिए यहां कीमतें ज्यादा हैं। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर राजस्थान से ज्यादा कर लगता है इसीलिए जयपुर में पेट्रोल की कीमत भोपाल से कम है।’ 

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