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सतीश पूनिंया ने मुख्यमंत्री गहलोत पर किया हमला, बताया- मानसिक अवसाद से ग्रस्त

उन्होंने कहा, ‘‘इन दिनों मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं मोदी का एक किस्म का फोबिया हो गया और उस भय से आक्रांत होकर वह इसका उल्लेख बार-बार करते हैं।

जयपुर : भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर व्यक्तिगत हमला करते हुए सोमवार को कहा कि वह मानसिक अवसाद से ग्रस्त हैं और उनके पास आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नामों की माला जपने एवं उनके बारे में अनर्गल बयानबाजी करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं है। 
पूनिया ने कहा, ‘‘कांग्रेस दो टुकड़ों में बंटी हुई है, जिससे मुख्यमंत्री कुर्सी जाने के डर से आशंकित है। वह सुबह से लेकर शाम तक कुर्सी को बचाने की तिकड़मों से असंतुलित हो गये हैं। मैं उन्हें सलाह देना चाहूँगा कि वह स्वस्थ रहें, इसके लिए उन्हें अच्छे डॉक्टर से ईलाज करवाना चाहिए।’’ 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में राज्य में कोई विकास कार्य नहीं हुआ और मुख्यमंत्री अपनी असफलता को छुपाने के लिए एवं जनता का ध्यान भटकाने के लिए आरएसएस और भाजपा के विरूद्व बयानबाजी कर रही है। पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ‘शॉट टर्म मेमोरी लॉस’ बीमारी से ग्रसित है और इसी को देखते हुए ही उन्होंने उनसे मुलाकात कर उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी वाली पुस्तकें भेंट की थी। किन्तु अब लगता है कि आरएसएस के बारे में गलत बयानबाजी करना उनकी दिनचर्या में शुमार हो गया है। 
भाजपा विधायक ने कहा कि गहलोत यह सब अपने अलाकमान को खुश करने के लिये कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन दिनों मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं मोदी का एक किस्म का फोबिया हो गया और उस भय से आक्रांत होकर वह इसका उल्लेख बार-बार करते हैं। मैं उनको नसीहत देना चाहूँगा कि सरकार को एक साल हो गया है अब तो वह जनता की सुध लें। अभी 8 दिन पहले आत्महत्या करने वाले किसान धर्मपाल सुथार और उस जैसे हजारों परिवारों को न्याय देने की बात करें।’’ 
पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि संसद से पास कानून को यहाँ लागू नहीं करेंगे, भारतीय संविधान को चुनौती देना है। गहलोत ने नागरिकता संशोधन कानून और अन्य मुद्दों को लेकर कई बार आरएसएस और भाजपा नेताओं पर हमला किया है और राज्य में सीएए और एनआरसी को लागू नहीं करने की घोषणा की है। उन्होंने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में एक शांति मार्च निकला था और इसे लागू नहीं करने की घोषणा की थी। 

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