राजस्थान कांग्रेस की गुटबाजी के कारण अशोक गहलोत का सियासी रूतबा खत्म होने की कगार खड़ा हो गया हैं, सचिन पायलट -अशोक गहलोत दोनों नेताओं ने सोनिया गांधी से अलग -अलग समय पर मुलाकात की, जिसके बाद से ही राजस्थान के सियासी संघर्ष की गेंद हाईकमान के पाले में चली गई। सोनिया से मुलाकात में अशोक गहलोत ने राज्य में पर्यवेक्षकों की फजीहत पर माफी भी मांगी हैं। कांग्रेस महासचिव के के वेणुगोपाल ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सोनिया गांधी दो दिनों के बाद राजस्थान के सीएम पर फैसला लेंगी। जिसके बाद अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी को लेकर संकट गहरा गया हैं। हाईकमान कई मर्तबा सचिन पायलट को सीएम बनाने का भरोसा दे चुका हैं, इसी के चलते हाईकमान अबकी बार अपने वादे मुकरना नहीं चाहता हैं। सचिन पायलट को सीएम बनाने का विरोध करने वाले विधायकों ने भी अपने सुर बदलने शुरू कर दिए हैं।
तीन दिन में दो बार हाईकमान से मुलाकात कर चुके हैं सचिन पायलट
सचिन पायलट राजस्थान के सीएम बनने को लेकर हाईकमान से मुलाकात कर चुके हैं, क्योंकि सचिन को सीएम बनाने की मांग करने वाले विधायकों की संख्या बहुत कम हैं। सचिन पायलट ने हाईकमान से कहा था कि गहलोत अपने समर्थक विधायकों को लेकर आएंगे तो विधायक दल की बैठक में उनका चुना जाना निश्चित हो सकता हैं। गहलोत समर्थक विधायक सचिन पायलट को पहले ही पार्टी का गद्दार करार दे चुके हैं। ऐसे गहलोत के दिल्ली जाने से उनकी मंत्रीपद को खतरा बन जाता हैं, जिसके बाद राजस्थान में गुटबाजी खेल खुलकर सामने आ गया हैं।
सोनिया गांधी ने गहलोत को मुलाकात करने के लिए कराया इंतजार
दिल्ली प्रवास से पहले ही अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मुलाकात करने के लिए समय मांगा, लेकिन नाराजगी के चलते हाईकमान ने मिलने का समय ही नहीं दिया। लेकिन सचिन पायलट तीन दिन में दो बार मिल चुके हैं , इसके बाद से ही अशोक गहलोत पार्टी में अलग -थलग पड़ते नजर आए।
राजस्थान सियासी संघर्ष के बाद दिग्विजय का अध्यक्ष बनना तय
सीएम अशोक गहलोत का अध्य़क्ष लगभग तय हो गया था , गहलोत राजस्थान सियासी संघर्ष के बाद पार्टी में विश्वास के पात्र नहीं बन पाए हैं, जिसके बाद ही दिग्विजय सिंह का पलड़ा पार्टी में भारी हो गया हैं। बताया जा रहा हैं की दिग्विजय सिंह को गांधी परिवार का समर्थन प्राप्त हो गया हैं, जिसके बाद से ही उनकी दावेदारी प्रबल हो गई हैं।