राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार के आम बजट को शब्दों और आंकड़ों का मायाजाल करार दिया और कहा कि बजट की भाषा तो अच्छी है लेकिन भावना नहीं।
गहलोत ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट आमजन, किसानों और युवाओं की आकांक्षाओं के विपरीत है। इसमें किसानों को कर्ज से बाहर निकालने, युवाओं को रोजगार देने और बढ़ती महंगाई से राहत दिलाने के कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इस बजट में सामाजिक कल्याण की योजनाओं की घोर उपेक्षा की गई है। पूरा बजट केवल शब्दों और आंकड़ों के मायाजाल पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बजट की भाषा अच्छी है लेकिन भावना नहीं।
गहलोत ने कहा है कि केंद्र सरकार ने इस बजट में स्मार्ट सिटी, स्किल इण्डिया, मेक इन इण्डिया जैसी अपनी ही लोक लुभावन योजनाओं को आगे ले जाने का कोई विजन नहीं दिखाया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने अपने पिछले पांच साल के बजट और अदूरदर्शी निर्णयों से जिस तरह देश की अर्थव्यवस्था को चौपट किया उसे वापस मजबूत बनाने का कोई आधार इस बजट में नजर नहीं आता।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि बजट में शिक्षा नीति को बेहतर बनाने की बात कही गई है लेकिन उच्च शिक्षा के जितने बुरे हाल पिछले पांच साल में हुए वे किसी से छुपे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे से जुडे़ लाखों कर्मचारियों के हितों को दरकिनार कर बजट में रेलवे ट्रैक निर्माण को पीपीपी मॉडल पर देने के बहाने रेलवे के निजीकरण के रास्ते खोले जा रहे हैं।
गहलोत के अनुसार संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दो दिन पहले ही संसद में सार्वजनिक व राष्ट्रीय महत्व के सबसे बडे़ इस क्षेत्र के निजीकरण पर चिंता व्यक्त की थी जो सच साबित हुई है। गहलोत ने कहा है कि केंद्र की भेदभावपूर्ण नीतियों के कारण राज्यों के बिगड़े आर्थिक हालातों को सुधारने के लिए कोई स्पष्ट नीति भी बजट में नजर नहीं आती।