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मुसीबत में सियासत का जादूगर ! सचिन फैक्टर की मांग पूरी न होने पर कांग्रेस के बिखरने का डर

इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से ज्यादा राजस्थान के सीएम को लेकर चर्चा गति पकड़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर पार्टी गतिविधिया तेज हो गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सांसद शशि थरूर व राजस्थान सीएम अशोक गहलोत प्रमुख दावेदार हैं, दोनों में कड़ा मुकाबला होने के आसार है।

इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से ज्यादा राजस्थान के सीएम को लेकर चर्चा गति पकड़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर पार्टी गतिविधिया तेज हो गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सांसद शशि थरूर व राजस्थान सीएम अशोक गहलोत प्रमुख दावेदार हैं, दोनों में कड़ा मुकाबला होने के आसार है। लेकिन अशोक गहलोत को देशभर के कांग्रेसी नेताओं का बड़ी संख्या में समर्थन मिल रहा हैं, तो वही शशि थरूर के लिए चुनाव में पहला झटका उनके गृहराज्य केरल में लगा हैं, केरल कांग्रेस के सांसदों ने अशोक गहलोत का समर्थन करने का दावा किया है। जो शशि थरूर की हार का पहला झटका हैं। अध्यक्षी की रेस में आगे गहलोत के लिए राजस्थान में कांग्रेस को बिखरने से रोकने के लिए अपने जादू बरकरार रखने की पहली चुनौती है। 
राजस्थान से अशोक गहलोत के जाने की खबरों के बीच राज्य कांग्रेस सत्ताधारी विधायकों में विरोध व समर्थन के सुर तेजी के साथ बदल रहे है। अशोक गहलोत समर्थक विधायक गहलोत के इस्तीफा देने के पक्ष में नहीं हैं, तो वही सचिन पायलट समर्थक हाईकमान पर सचिन की ताजपोशी करने के लिए दवाब बना रही है। 
यही गहलोत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अगर गृह प्रदेश राजस्थान में कांग्रेस में बिखरी तो फिर राष्ट्रीय स्तर पर गहलोत का जादू कैसे चलेगा यह भी एक बड़ा सवाल होगा।अशोक गहलोत सियासत में अपने विरोधियों को पटखनी देने में माहिर हैं, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल अशोक गहलोत दोधारी तलवार पर बैठे हैं  जंहा उनके लिए राजस्थान में ही पार्टी के बिखरने से रोकने के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अगर राजस्थान कांग्रेस में बिखर जाती हैं तो कांग्रेस में कार्यकर्ताओं के लिए गलत संदेश जाएग।  वही अशोक गहलोत की सियासी विश्ववनियता पर सवाल खड़ा हो जाएग।  
मल्लिकार्जुन खड़गे व अजय माकन तय करेंगे सीएम का नाम 
कांग्रेस वर्तमान नेतृत्व ने पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे व अजय माकन को पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर भेजा हैं। वह राजधानी में विधायकों की बैठक के बाद हाईकमान को सीएम के नाम पर सुझाव देंगे। पिछली बार हाईकमान राजस्थान सत्ता बचाए रखने के लिए जुगत में पड़ना पड़ा था।  बताया जा रहा हैं दोनों गुटों में कुछ विधायक सर्वसम्मति से लेना चाहिए, ताकि पार्टी में बैलेंस बना रहेगा।     
सीपी जोशी -डोटासरा पर खेला जा सकता हैं दांव 
अशोक गहलोत किसी भी कीमत पर अपने प्रतिद्वंदी सचिन पायलट को राजस्थान की सत्ता पर नहीं बैठाना चाहते हैं, लेकिन सीपी जोशी उनके मातहत काम करने के लिए समझा जाता हैं। जबकि डोटासरा को प्रदेश की कमान सौंपी जा चुकी हैं . लेकिन फिर भी समीकरण को साधने के लिए डोटासरा को सरकार में शामिल कर उन्हें डिप्टी सीएम की पद सौंपा जा सकता हैं। डोटासरा जाट समाज में बहुत चर्चित हैं जो एक लोकप्रिय चेहरा भी हैं । प्रदेश में जाट समाज की लोकसभा की 23 सीटों पर सीधी पकड़ हैं। 

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