राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है। गहलोत गुट के विधायकों ने अपनी शर्ते पार्टी आलाकमान के सामने रख दी है। जिसके बाद यही सवाल उठ रहा कि अब राजस्थान में क्या होगा? गहलोत गुट के तकरीबन 82 विधायकों ने बीते दिन अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए विधानसभा स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया था।
दरअसल, जयपुर में बीते दिन विधायक दल की बैठक होने वाली थी, उससे पहले ही विधायकों ने अपना इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया और ये साफ कह दिया की वो राहुल गांधी के लिए जान दे देंगे, लेकिन पायलट को स्वीकार नहीं करेंगे। जिसके बाद सोनिया गांधी ने अजय माकन को विधायकों से बातचीत करने का निर्देश दिया था।
माकन आज फिर करेंगे विधायकों से बातचीत
इसी के बाद कई कांग्रेस नेताओं ने विधायकों से बात की, लेकिन उनका कहना साफ था कि वो पायलट को स्वीकार नहीं करने वाले है। अब इस मामले में अजय माकन ने बताया की वे सिर्फ शक्ति प्रदर्शन देखने के लिए जयपुर नहीं आए थे, बल्कि एक एक विधायक से फीडबैक लेने के बाद दिल्ली तक बात पहुंचाएंगे। उसके बाद ही फैसला होगा।
विधायकों ने जो तीन शर्ते रखी है, उसके अनुसार सीएम अशोक गहलोत अध्यक्ष पद पर चुनाव होने के बाद ही अपना इस्तीफा पेश करें यानी कि नए सीएम का ऐलान 18 अक्टूबर के बाद होना चाहिए। इसी के साथ विधायकों की दूसरी शर्त है कि नया मुख्यमंत्री 102 विधायकों में से ही बनना चाहिए, जिन्होंने 2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान सरकार गिरने से रोका था। विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान के सामने यह भी शर्त रखी है कि सीएम अशोक गहलोत ही उनके विधायक दल के नेता हैं और उन्हें एक साथ 2 पदों पर काम करने की अनुमति दी जाए यानी गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने और सीएम पद भी संभाल ले।