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फोन टैपिंग को लेकर राजस्थान विधानसभा में हंगामा, BJP ने की मामले में CBI जांच की मांग

फोन टैपिंग के मामले को लेकर बीजेपी सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला किया। विधानसभा के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर आज खूब हंगामा हुआ।

राजस्थान में फोन टैपिंग के मामले को लेकर बीजेपी सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला किया। विधानसभा के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर आज खूब हंगामा हुआ। बीजेपी ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दिए जाने पर शून्य काल में हंगामा और नारेबाजी की। 
राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार बार-बार बोल रही है कि 69ए और टेलीग्राफ एक्ट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और राजस्थान में बैठी उन्हीं की कांग्रेस सरकार ने इसका दुरुपयोग किया। विधानसभा में सरकार से एक लिखित प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि फोन टैपिंग हुई है। 
उन्होंने कहा, हमारी (राजस्थान) सरकार अपने लोगों की जासूसी कर रही है। यह देश को मजबूत करने या आतंकवादियों को पकड़ने के लिए नहीं है। यह राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था। यदि आप फोन टैपिंग करना चाहते हैं, जो संविधान के अनुसार किया जा सकता है, तो इसे राज्य के लाभ के लिए करें। बीजेपी अब इस मुद्दे पर सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
मुद्दे को लेकर विधानसभा में हंगामा
बीजेपी नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि वह तो यह जानना चाहते हैं कि फोन टैपिंग किसके आदेश पर हुई और सरकार को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए? विधानसभा अध्यक्ष डा सीपी जोशी ने इस बारे में सरकार द्वारा विधानसभा में दी गयी जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि इसमें फोन टैपिंग के बारे में कानून का जिक्र है और इसमें किसी व्यक्ति विशेष का फोन टैप किए जाने का जिक्र नहीं है और न ही स्थगन प्रस्ताव लाने वाले बीजेपी विधायकों ने ऐसा कोई जिक्र किया है। इसलिए वे स्थगन प्रस्ताव खारिज करते हैं। 
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के दौरान पैदा हुए राजनीतिक संकट के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर फोन टैपिंग कराने का आरोप लगा था, जिसे सीएम गहलोत ने खारिज कर दिया था। हालांकि कांग्रेस सरकार ने पिछले साल अगस्त के विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता कालीचरण सराफ द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में फोन टैपिंग की बात स्वीकार की थी। 
इसका जवाब अब राज्य विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। इसके अनुसार,’लोक सुरक्षा या लोक व्‍यवस्‍था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्‍साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्‍यवस्‍था को खतरा हो टेलीफोन अन्‍तावरोध (इंटरसेप्ट) भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2), भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419 ए एवं सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की स्‍वीकृति उपरान्‍त किया जाता है।’ जवाब के एक खंड के अनुसार, ‘राजस्‍थान पुलिस द्वारा उपरोक्‍त प्रावधानों के अंतर्गत टेलीफोन अन्‍तावरोध (इंटरसेप्ट) सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्‍त करने के उपरान्‍त ही किए गए है।’

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