राजस्थान के अलवर जिले में अरावली की पहाड़ियों से अवैध खनन के पत्थर का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेशों का जमकर उल्लंघन किया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एनजीटी द्वारा 379 से अधिक क्रेशर बंद करने के निर्देश देते हुए करीब 430 करोड़ रुपए वसूलने के निर्देश दिए थे लेकिन करीब डेढ माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इन आदेशों के तहत न तो क्रेशर बंद हुई और न ही राशि की वसूली हुई।
सूत्रों के अनुसार एनजीटी ने अपने आदेश में इस बात को माना है कि अवैध खनन के मामले घटने के बजाय बढ़ते गए। हरियाणा में अवैध खनन पर रोक के बावजूद वहां धड़ल्ले से क्रेशर चल रहे हैं और उन क्रेशरों पर राजस्थान के अलवर जिले से कच्चा माल सप्लाई हो रहा है। राज्य से प्रतिदिन सैकड़ों डंपर माल हरियाणा के क्रेशरों पर जा रहा है।
गौरतलब है कि अवैध रूप से संचालित क्रेशर कंपनी संतोष मित्तल बनाम राजस्थान सरकार एवं अन्य प्रकरण वर्ष 2013 से एनजीटी सेंट्रल जोन भोपाल में विचाराधीन चल रहा था जो 28 मई 2018 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण प्रधान पीठ नई दिल्ली में स्थानांतरित हो गया।
प्रधान पीठ नई दिल्ली ने याचिकाकर्ताओं की अपील को भी खारिज करते हुए गत सात मई 2019 को क्रेशरों से 430 करोड़ रुपये वसूली के निर्देश दिए थे। जिला वन अधिकारी आलोक नाथ गुप्ता ने बताया कि एनजीटी द्वारा 379 क्रेशरों को बंद करने आदेश के बावजूद अभी भी क्रेशर संचालित हो रहे है, जो एनजीटी के आदेशों की अवलेहना है।
एनजीटी ने स्टोन का स्तेमाल पर जुर्माना लगाया है वह भी जमा नही करवाया जा रहा है। उन्होंने मांग की हरियाणा और राजस्थान सरकार को इस संबंध में कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।