राजस्थान उपचुनाव के नतीजों ने गहलोत को दिलाई बढ़त, पायलट से निकले आगे, मजबूत हुई पार्टी में स्थिति - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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राजस्थान उपचुनाव के नतीजों ने गहलोत को दिलाई बढ़त, पायलट से निकले आगे, मजबूत हुई पार्टी में स्थिति

राजस्थान में जिस तरह के उपचुनाव के नतीजे आए हैं उसको देखते हुए राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ और समय तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राहत मिल सकती है।

राजस्थान में जिस तरह के उपचुनाव के नतीजे आए हैं उसको देखते हुए राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ और समय तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राहत मिल सकती है। इसके साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को अन्य राज्यों में प्रचार की जिम्मेदारी दी जाएगी। राजस्थान उपचुनाव में धरियावाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस के नगराज मीणा 18725 वोट से जीते। 
वहीं वल्लभनगर सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार प्रीति शक्तावत करीब 65378 मतों से जीतीं। इसके साथ ही गुटबाजी झेल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राज्य में दो सीटें जीतने का हौसला मिला और मंत्रिमंडल विस्तार के लिए उन पर बनाया जा रहा दबाव भी कुछ कम हो गया है।
जिस तरह से कांग्रेस पर गुटबाजी के आरोप लग रहे थे, अब बीजेपी में भी ऐसे ही आरोप लगाने वाले नेता भी खुलकर सामने आ गए हैं। दिल्ली में मौजूद बीजेपी से निष्कासित राजस्थान के पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने कहा कि उपचुनाव में बीजेपी को जो इतनी करारी हार का सामना करना पड़ा है, बीजेपी तीसरे नम्बर की पार्टी साबित हुई है। उसके लिए बीजेपी के तीन केंद्रीय मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ही जिम्मेदार हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस के खेमें में उपचुनाव के बाद मुखर विरोधी सुर अब कुछ समय के लिए हाईकमान के अगले निर्णय के इंतजार में जुटे हैं। जिस तरह से कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत सरकार के मंत्रियों को कुछ राज्यों में आगामी चुनावों की जि़म्मेदारी सौंपी है, उससे ये संकेत मिल रहे थे कि अब मंत्रिमंडल विस्तार को टाला नहीं जाएगा। 
शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान के दिग्गज नेता और गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और स्वास्थ्य व शिक्षा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को महासचिव प्रभारी पद की जिम्मेदारी सौंपकर मंत्रिमंडल विस्तार करने का रास्ता खोल दिया था। जिसके बाद नेताओं ने मंत्री पद छोड़कर अपने प्रभार वाले राज्यों में सक्रिय रहने के संकेत भी दिए थे। लेकिन उपचुनाव के नतीजों ने मंत्रिमंडल विस्तार में फिर से नई सोच-विचार की गुंजाइश पैदा कर दी है।
दरअसल सियासी जानकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चलने वाली सियासी जंग के चलते राज्य में अब तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया। पायलट खेमे को मंत्रिमंडल विस्तार में उम्मीद के मुताबिक जगह नहीं दी गई है। दोनों नेताओं की सुलह कराकर आलाकमान मामले को जल्द से जल्द शांत कराने में जुटा है। 
लेकिन इस बीच इस उपचुनाव के नतीजों के बाद मंत्रिमंडल विस्तार से पहले सचिन पायलट की केंद्रीय राजनीति में भूमिका तय की जाएगी। ये भी हो सकता है कि उत्तर-प्रदेश, हिमाचल, गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को प्रचार की अहम जिम्मेदारी दी जाए। दो दिन पहले ही सचिन पायलट ने यूपी के लखनऊ का एक दौरा भी किया था।

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