राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि देश के अलग-अलग अंचलों की लोक संस्कृति और लोक कलाओं की विभिन्न विधाओं को एक सूत्र में पिरोकर देश की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण आज के समय की प्रमुख आवश्यकता है।
मिश्र आज यहां राजभवन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष के तौर पर परिषद के शाषी निकाय और कार्यकारी निकाय की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कलाएं और सांस्कृतिक विधाएं भौगोलिक सीमाओं से परे होती हैं, इन्हें प्रोत्साहन प्रदान कर अनुकूल मंच उपलब्ध करवाए जाने की जरूरत है ताकि इन्हें अक्षुण्ण बनाए रखते हुए भावी पीढ़ी के लिए संजोकर रखा जा सके। उन्होंने कहा कि जनजातियों की कलाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए और अधिक सक्रियता से कार्य करने की जरूरत है।
मिश्र ने आह्वान किया कि युवाओं और बच्चों को संस्कृति से जोड़ने और सांस्कृतिक गतिविधियों में उनकी सहभागिता बढ़ने के लिए पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को योजना बनाकर चरणबद्ध रूप से कार्य करना चाहिए। उन्होंने केंद्र को वित्तीय रूप से स्वावलम्बी बनाने के लिए इसके कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन में प्रायोजकों को साथ जोड़ने का सुझाव भी दिया।
बैठक में कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सदस्य राज्यों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की जो परंपरा विकसित हुई है, उसे कायम रखने के लिए वर्तमान सदस्य राज्यों को इसी सांस्कृतिक केंद्र से जोड़े रखना उचित होगा।
बैठक में केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने केंद्र के वर्ष 2019-20 के कार्यक्रमों का ब्यौरा प्रस्तुत करने के साथ केंद्र की वार्षिक योजना एवं कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में निदेशक द्वारा केंद्र के वर्ष 2019-20 का अंकेक्षित लेखा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। बैठक में इसके अलावा एजेंडा बिन्दुओं के अनुसार प्रकरणों पर विचार विनिमय किया गया।