दिल्ली हाई कोर्ट ने एक भूमि सौदे मामले में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और सीबीआई जांच करवाने की अपील करने वाली एक याचिका बुधवार को खारिज कर दी। यह मामला 2010 में एक राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तारीकरण के लिए एनएचएआई को सरकारी जमीन का एक टुकड़ा देकर कथित तौर पर 1.97 करोड़ रुपये का मुआवजा लेने का है।
न्यायमूर्ति आर के गोबा ने याचिका खारिज कर दी। याचिका में विशेष सीबीआई अदालत के 18 अप्रैल 2015 में दिए आदेश को भी चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने राजे और उनके बेटे के खिलाफ आरोपों की जांच का आदेश देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि पूर्व अनुमति नहीं ली गई जो भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत जरुरी है।
निचली अदालत ने राजस्थान के एक वकील की निजी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन पर मुकदमा चलाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मंजूरी का कोई आदेश नहीं है। वकील श्रीजन श्रेष्ठ की याचिका के अनुसार, वसुंधरा राजे उस समय सरकारी सेवक नहीं थी जब 2010 में यह कथित अपराध हुआ और वह राजस्थान विधानसभा में विपक्ष की नेता थी।
याचिका में कहा गया है कि वसुंधरा राजे और उनके बेटे ने धोलपुर शहर में धोलपुर पैलेस से जुड़ी भूमि के 567 वर्ग मीटर हिस्से पर गैरकानूनी रूप से कथित तौर पर दावा किया और उसे 1.97 करोड़ रुपये के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को बेच दिया जिससे राजकोष को नुकसान हुआ।