Rajasthan: भगवान महावीर स्वामी का 2551 वां निर्वाणोत्सव देश-विदेश में श्रद्धा पूर्वक धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान राजस्थान के दिलवाड़ा जैन मंदिर को दीपों से रोशन किया गया। वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के अहिंसा, शांति, सद्भावना , अपरिग्रह, स्याद्वाद-अनेकांत के दर्शन की तत्कालीन समय में जितनी आवश्यकता थी उससे अधिक आवश्यकता और प्रासंगिकता मौजूदा समय में है। भगवान महावीर जैन धर्म के वर्तमानकालीन 24वें तीर्थंकर हैं।
जैनधर्म का प्रमुख महापर्व
महावीर स्वामी ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण अर्थात् मोक्ष प्राप्त किया था। जैन परंपरा में दीपावली, महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। जहां कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन भगवान महावीर ने मोक्ष को प्राप्त किया था वहीं इसी दिन संध्याकाल में उनके प्रमुख शिष्य, गणधर गौतम स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुयी थी। जैनधर्म के लिए यह महापर्व विशेष रूप से त्याग और तपस्या के तौर पर मनाया जाता है। इसलिए इस दिन जैन धर्मावलंबी भगवान महावीर की विशेष पूजा करके प्रातः बेला में निर्वाण लाडू चढाकर स्वयं उन जैसा बनने की भावना पाते हैं।
निर्वाण लाडू महोत्सव का आयोजन
दिवाली यानि महावीर के निर्वाणोत्सव वाले दिन पूरे देश के जैन मंदिरों में विशेष पूजा, निर्वाण लाडू महोत्सव का आयोजन भव्य रूप में किया जाता है। गोधूलि बेला में अपने-अपने घरों में महावीर भगवान की विशेष पूजन के साथ दीप जलाते हैं। भगवान महावीर के बताये हुए मार्ग पर चलने से हम स्वस्थ, समृद्ध एवं सुखी समाज की संरचना कर सकते हैं। परमाणु खतरों और आतंकवाद से जूझ रही दुनिया को भगवान महावीर के अहिंसा और शांति के दर्शन से ही बचाया जा सकता है।
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