कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार 24 अगस्त के दिन जन्माष्टïमी मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण को माखन और दही खान सबसे प्रिय होता है। इसलिए उन्हें हमेशा भोग में माखन,मिश्री और दही चढ़ाई जाती है। इस खास पर्व पर जगह-जगह झांकियां भी सजाई जाती है।
इस दौरान दही की मटकी भी टांगी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दही को हांडी में भरकर क्यों टांगा जाता है। तो चालिए आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ खास मान्यताओं के बारे में बताएंगे।
धर्म ग्रंथों के मुताबिक श्रीकृष्ण देवकी की आठवीं संतान थी। अपने भाई कंस से उसे जान का खतरा होने की वजह से उन्होंने कृष्ण जी को यशोदा और नंदजी के पास वृंदावन ले गए थे।
नंदलाला का बचपन भी वृंदावन की नगरी में ही खेल-कूदकर बीता है। वो बचपन से ही बड़े शरारती थे। भगवान श्रीकृष्ण को बचपन से ही माखन और दही खाना पसंद था। इसलिए घर में रखे दही के सारे पात्र वो गाप-गाप खा जाते थे।
श्रीकृष्ण को माखन और दही इतना ज्यादा पसंद था कि वह अपने घर के अलावा पड़ोसियों के घर का भी माखन खा जाते थे। यही वजह थी कि कृष्णा माखन तक पहुंच ना पाए इसलिए हांडी को दूर रखा जाने लगा।
श्रीकृष्ण की मां यशोदा साहित बाकी आस पड़ोस वाले लोग अपने घर पर हांडी में दही और माखन भरकर टांग देते थे। लेकिन श्रीकृष्ण इतने ज्यादा चुलबुले थे कि वो अपने दोस्तों की सहायता से चढ़कर हांडी से दही चुराकर खा ही लेते थे।
बहुत बार तो श्रीकृष्ण ने माखन और दही खाने के लिए पत्थरों से भी हांडी को तोड़ दिया है। ये सबकुछ देखकर यशोदा मां नाराज हो जाती थी। लेकिन कान्हा की अटखेलियां देख वह सब कुछ भूल जाती थीं।
श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का स्वरूप हैं इसी वजह से उनकी बाल लीला ने सबका मन मोह लिया था। इसलिए कान्हा को अपने घर बुलाने के लिए लोग हांडी में माखन और दही भरकर रखते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी पर दही हांडी रखने से घर में श्रीकृष्ण का आगमन होता है। इससे घर में खुशहाली बनी रहती है। श्रीकृष्ण ने ग्वाल परिवार में जन्म लिया था और वहां पर दूध से ही सभी चीजें बनाई जाती थीं। इसलिए कान्हा जी को बचपन से ही दही और माखन खाना पसंद था।
बता दें कि दही हांडी समृद्घता का प्रीतक भी है। ऐसा कहा जाता है कि इसे जन्माष्टमी के दिन घर में रखने से कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है।