साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन फकीर बन कर गुजारा। उनका मूल मंत्र श्रृद्धा और सबूरी था। साईं बाबा को अपना आराध्य हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय मानते हैं। मान्यता के अनुसार 28 सितंबर को साईं बाबा का जन्म हुआ था। अपना पूरा जीवन साईं नाथ ने परोपकार में लगाया। कोई भी अपनी किसी भी तरह की समस्या साईं बाबा के पास लेकर जाता उसकी हर समस्या का समाधान होता।
साईं बाबा ने अपने बारे में कई सारे वचन साईं सच्चरित्र नाम की धार्मिक पुस्तक में बताए हुए हैं। जो भी व्यक्ति साईं नाथ के इन वचनों का ध्यान सच्चे मन से करता है श्री साईं सच्चरित्र केमुताबिक उसके सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। अपने आप में अध्यात्म की बड़ी शिक्षाएं साईं के इन 11 वचनों में है।
ये है साईं बाबा के 11 वचन
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा।
शिरडी में ही ज्यादा समय साईं बाबा का बीता है इसलिए कहा जाता है कि व्यक्ति की सभी समस्याएं शिरडी जाने से दूर होती हैं। शिरडी जाना अगर किसी भी भक्त के लिए संभव नहीं है तो वह अपने पास किसी भी साईं मंदिर जा सकते हैं।
2. चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर
साईं भक्तों का मन भक्ति में साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही डूब जाता है और सांसारिक दुखों से उसे मुक्ति मिल जाती है।
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा
साईं बाबा इस वचन में कहते हैं कि मेरा शरीर तो खत्म हो जायेगा लेकिन मेरा भक्त जब भी मुझे पुकारेगा तो मैं उसकी सहायता के लिए दौड़ा आऊंगा।
4. मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस।
साईं बाबा ने इस वचन में कहा है कि मुझ पर जिसे भी विश्वास है तो उसे मेरी समाधि पर जाकर विपरीत परिस्थितियों में शांति का अनुभव होगा।
5. मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।
अपने इस वचन में साईं बाबा ने कहा है कि अपने भक्तों के विश्वास में मैं जीवित हूं। कोई भी भक्त अनुभव भक्ति और प्रेम से इस बात को कर सकता है।
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए।
इस वचन में साईं ने कहा है कि मैं उसकी हर इच्छा पूरी करता हूं, जो भक्त मेरी शरण में आता है।
7. जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
साईं बाबा कहते हैं कि मुझे जिस रूप में जो व्यक्ति पूजता है, वैसे ही रूप में मैं उसकी मदद करता हूं।
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।
साईं ने इस वचन में कहा है कि मुझ पर आस्था जो भक्त रखेंगे, हर दायित्व मैं उनका पूरा करुंगा।
9. आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर।
इस वचन में साईं बाबा ने कहा है कि मुझे श्रद्धा व विश्वास से जो भक्त पुकारेगा, मैं जरूर उसकी सहायता करूंगा।
10. मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया।
साईं ने कहा है कि मेरा ही ध्यान मन, वचन और कर्म से जो भक्त करता है, हमेशा ऋणी मैं उसका रहता हूं।
11. धन्य धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
इस वचन में साईं बाबा ने कहा है कि अनन्य भाव से मेरी भक्ति में जो भक्त लीन हैं वास्तव में वे ही भक्त मेरे भक्त हैं।