मेक्सिको यूं तो समृद्ध देशों में आता है पर लेकिन वो कहते हैं न एकदम परफेक्ट तो कोई भी नहीं हो सकता ऐसे ही वहां भी जिसकी जड़ें पूरे देश में ऐसे फैली हुई हैं कि जिसका कोई तोड़ ढूंढने पर भी नहीं मिल पाता। मेक्सिको का एल चैपो एक ड्रग डीलर था जो पूरी दुनिया में कुख्यात था। पर आज हम मेक्सिको की खबर आपको ड्रग्स तस्करी के लिए नहीं बता रहे हैं, बल्कि एक अजीबोगरीब घटना (Mexico fainting students) के चलते बता रहे हैं जो पिछले साल इस देश में घटी और उसने पूरे देश को ऐसा हिलाकर रख दिया कि आजतक कोई उसे भुला नहीं पाया। एक साल हो चुके हैं मगर इस घटना का सच और कारण पूरी तरह लोगों के सामने नहीं आया है, लेकिन बताया जाता है कि इसमें भी ड्रग्स शुमार था।
ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में मेक्सिको में एक ऐसी घटना घटी जिसने सभी को हिला कर रख दिया। वो इसलिए क्योंकि यहां अलग-अलग स्कूलों के सैकड़ों बच्चे बेहोश (Students faint in school Mexico) होने लगे, उन्हें उल्टी-दस्त होने लगा और तबीयत बिगड़ गई। सबसे पहले ये मामला सामने आया 23 सितंबर 2022 के दिन जब तापाचुला के फेड्रल 1 पब्लिक सेकेंड्री स्कूल के 12 छात्र, 11 लड़कियां और 1 लड़का अचानक क्लास, बाथरूम और प्लेग्राउंड में चक्कर खाकर गिर पड़े। इसके अलावा 22 छात्रों ने उल्टी और सिर दर्द की शिकायत की।
स्कूल में एक साथ बेहोश हुए सैंकड़ो बच्चे
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उस वक्त बच्चों ने हवा में पत्तियों के जलने की महक आने की शिकायत की थी। पुलिस को लगा कि शायद किसी ने ड्रग्स यानी गांजे की पत्तियां जला दी होंगी जिसकी वजह से ऐसा हुआ। पर जांच में ऐसा नहीं निकला। कुछ बच्चों ने दावा किया कि उन्हें बाथरूम में हल्का पीला रंग का पाउडर दिखाई दिया था। उसकी भी जांच हुई, तो वो भी ड्रग्स जैसी कोई चीज नहीं निकली। डॉक्टरों को लगा कि शायद बच्चों को पैनिक अटैक आए होंगे, इस वजह से उनकी हालत ऐसी हो गई। पर इस घटना के दबा जब एक के बाद एक मेक्सिको के कई स्कूलों से सैकड़ों बच्चों के अंदर यही लक्षण दिखाई दिए तो हर कोई हैरान रह गया।
अन्य राज्य के स्कूलों में भी बिगड़ी तबीयत
इस घटना के 2 हफ्ते बाद मेक्सिको के चियापास नाम के राज्य में ऐसी ही घटना हुई जहां 68 बच्चे बेहोश हो गए। उस वक्त जब डॉक्टरों ने जांच की तो उन्हें 4 बच्चों को खून से कोकेन के अंश मिले। ऐसा ही मामला पिछले स्कूल में फिर आया जहां दर्जनों बच्चे बेहोश हुए। धीरे-धीरे देश के अन्य राज्यों के स्कूल में भी जब ऐसा हुआ तो जांच भी तेज कर दी गई। डॉक्टरों ने ड्रग्स, या खाने में कुछ मिलाए जाने की संभावना को पूरी तरह से किनारे कर दिया क्योंकि जांच में बच्चों के खून से ऐसी चीजें नहीं मिली और ना ही खाने में कुछ मिला। इसके अलावा स्कूल, फैक्ट्रियों के पास नहीं थे, जिससे हवा के रास्ते उन तक कोई जहर पहुंच जाए।
डॉक्टरों ने लगाया अंदाजा
तब मेक्सिको सिटी के डॉक्टर कार्लोस पानटोजा मेलेंडिस ने अपनी रिसर्च शुरू की और पाया कि ये ड्रग्स का मामला नहीं, बल्कि मास हिस्टीरिया का केस है। मास हिस्टीरिया वो कंडीशन होती है जिसमें जब कुछ लोगों की तबीयत बिगड़ती है, तो उनके पास मौजूद अन्य लोगों के साथ भी ऐसा ही होने लगता है। उनके अंदर भी एक जैसे ही सिंप्टम्स दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, ये सिर्फ उनका अंदाजा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए एक राज्य के स्कूल से दूसरे राज्य के स्कूल में ये मास हिस्टीरिया फैला होगा। मामले की जांच अभी भी जारी है, और किसी पुख्ता नतीजे तक कोई नहीं पहुंच पाया है।