कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी पर अहोई अष्टमी व्रत होता है। संतान के सौभाग्य और दीर्घायु के लिए अहोई माता की पूजा इस दिन करते हैं। मान्यता है कि यह व्रत संतान की सुख पाने के लिए भी विशेष होता है।
21 अक्टूबर यानी सोमवार को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। बता दें कि अहोई माता का व्रत कई लोगों ने 20 अक्टूबर को भी रखा है। अहोई माता के व्रत के दौरान कई ऐसी बातें होती हैं जसे नहीं करनी चाहिए। चलिए बताते हैं इन्हीं 10 बातों के बारे में-
1. बिना स्नान के अहोई माता के व्रत में पूजा नहीं करें। काले गहरे नीलें रंगों के वस्त्र भी अहोई माता के व्रत में नहीं पहनने होते।
2. भगवान गणेश का नाम लेकर अहोई अष्टमी के व्रत को शुरु करना होता है। मान्यता है कि हिंदू धर्म में किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश के नाम से शुरु होती है क्योंकि भगवान गणेश को सबसे सर्वोपरि बताया गया है।
3.शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी जीव-जंतु को चोट और हरे-भरे वृक्षों को अहोई माता के व्रत के दौरान नहीं तोड़ना चाहिए। जो भी सामग्री अहोई माता के व्रत के दौरान पूजा में इस्तेमाल होती है उससे दोबारा किसी भी पूजा में ना इस्तेमाल करें।
4. अहोई माता के व्रत में भूलकर भी पुरानी मिठाई और मुरझाए हुए फूल का इस्तेमाल नहीं करना होता। इसके साथ ही कांसे के लोटे से अर्ध्य नहीं देते हैं।
5. अहोई माता के व्रत में जो भी खाना बनता है उसमें तेल,प्याज, लहसुन इन सबका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही करवा चौथ पर जो करवा आपने इस्तेमाल किया है उसे दोबारा इस व्रत में न इस्तेमाल करें।
6. अहोई माता का व्रत जो महिलाएं रखती हैं उन्हें दिन में सोने से बचना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि संतान की आयु दिन में सोने से क्षीण हो जाती है। यही वजह है कि दिन में सोना वर्जित माना गया है।
7. इस दिन अगर आपके दरवाजे पर कोई भी भिक्षुक आता है तो उसे दान जरूर दें और अपनी संतान की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद लें। इसके साथ ही किसी भी बुजुर्ग इंसान का इस दिन अपमान न करें।
8. खास महत्व होता है निर्जला व्रत का अहोई माता के व्रत में। साथ ही इस व्रत में सास-ससुर या फिर किसी बड़े का बायना जरुर निकालें। ऐसी परंपरा है।
9. सामर्थ्यनुसार आप इस व्रत के दौरान अपनी थाली में फल, मिठाई, सूखे मेवे, बेसन और आटे की पूरियां साथ ही दक्षिणा के तौर पर कुछ रुप जरूर रखें।
10. सात तरह का अनाज अपने हाथों में अहोई माता के व्रत की कथा के दौरान जरूर रखना होता है। उसके बाद उस अनाज को गाय को पूजा के बाद खिला दें। मदिरा का सेवन भूलकर भी इस माह में नहीं करना चाहिए।