नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद भोपाल नगर निगम ने बुधवार की शाम को उसके नाम के बस स्टॉप साइनबोर्ड को हटा दिया। और 'संत आसाराम नगर' में रहने वाले लोगों ने कॉलोनी का नाम बदले जाने की मांग की है। स्थानीय लोगों के अनुसार, आसाराम के नाम वाले सभी साइनबोर्ड्स और क्रॉसिंग को खत्म कर दिया गया। साथ कॉलोनी के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस नाम ने उन्हें शर्मिन्दा किया है।
भोपास में बागसेवनिया पुलिस स्टेशन के पास बनी इस कॉलोनी में करीब 250 परिवार रहते हैं। आसाराम को सजा के ऐलान के बाद स्थानीय लोग सड़कों पर आए और जहां भी कॉलोनी का नाम लिखा था, उसे मिटा दिया। महिलाओं ने भी इसमें हिस्सा लिया और उन नेम प्लेट्स को हटाया, जिनपर कथित संत आसाराम का नाम लिखा था। उन्होंने कहा कि कॉलोनी का नाम संत आसाराम नगर होना उनके लिए शर्मनाक है। संत आसाराम नगर वेलफेयर सोसायटी के मेंबर एनपी अग्रवाल ने कहा, 'हम यहां पिछले 12 साल से रहते हैं, हमने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन कॉलोनी का नाम हमारे लिए शाप बन जाएगा।'
कॉलोनी में रहने वाले लोग इस नाम को लेकर अपमानित महसूस कर रहे हैं। यहां रहने वाले प्रदीप विजयवर्गीय कहते हैं, 'किसी को अपना अड्रेस बताने में हमें अजीब सा लगता है। हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कॉलोनी का नाम नहीं जोड़ सकते जिसे कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा दी हो। यहां तक कि बच्चे भी ऐसा नहीं चाहते हैं।' कॉलोनी में रहने वालों ने इस बारे में फैसला लेने के लिए कलेक्टर से मिलने का मन बनाया है। एक और स्थानीय निवासी ने कहा, 'कॉलोनी का नाम बदलने से जुड़ी कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है और हम इस बारे में अपना पक्ष रखने के लिए औपचारिक रूप से कलेक्टर से मिलेंगे।' बुधवार को मेयर आलोक शर्मा ने संत आसाराम बस स्टॉप का एक बोर्ड भी हटा दिया।
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