हिंदूओं में शादी में कई रिवाज निभाए जाते हैं, इन्हीं में से एक है विदाई में दुल्हन के चावल फेंकने की रस्म। इसके पीछे खास मान्यताएं जुड़ी हैं जो समृद्धि का कारक है।आइए आपको बताते हैं.विदाई के दौरान दुल्हन घर की दहलीज पार करती है तो वह अपनी मुठ्ठी में चावल भरकर पीछे की ओर फेंकती है दुल्हन का चावल फेंकना शास्त्रों में बहुत शुभ माना गया है।
क्या कहते हैं शास्त्र
शास्त्रों में चावल को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। दुल्हन चावल के जरिए अपने परिवार के खुशहाल रहने की कामना करती है। जैसा कि आप जानते हैं कि बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं, मान्यता है कि शादी के बाद जब वह घर छोड़ती है तो पीछे की ओर चावल फेंकती है तो घर में सदा मां लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन-दौलत की कमी नहीं होती।
चावल के ज़रिए दुल्हन देती हैं दुआएं
दुल्हन जब ये रस्म निभाती है तो मायके वाले इन चावलों को अपनी झोली में इक्ट्ठा करते हैं। बेटी के ससुराज जाने के बाद वह इसे सहजकर रखते हैं। इन्हें उन्नति का कारक माना जाता है मान्यताओं के अनुसार दुल्हन को ये रस्म पांच बार निभाती है, इस दौरान उसे मुड़कर देखने की मनाही होती है। कहते हैं इन चावलों के जरिए वह परिवार को दुआएं देकर जाती है।
गृह प्रवेश के वक़्त इसलिए चावल के लोटे को दुल्हन गिराती है
बेटियां जहां रहती है वहां लक्ष्मी का वास होता है। कहते हैं इस रस्म को मायके वालों पर बुरी नजर को दूर रखने के मकसद से भी किया जाता है.चावल से जुड़ी एक रस्म सुसराल में भी निभाई जाती है, जब पहली बार दुल्हन का गृह प्रवेश होता है। इस दौरान वह चावल से भरा कलश अपने दाएं पैरों से गिराती है मान्यता है दुल्हन के ऐसा करने पर चावल के रूप में जीवनभर के लिए घर में सुख-समृद्धि स्थिर हो जाती है।