भारत का गौरव हमारे देश की सेना है। और भारतीय नौसेना का अपना ही महत्व है, भारत में जब भी बाहरी हमले हुए, वह जमीन के रास्ते से हुए, इसका एक कारण भारतीय नौसेना का बल है, जिसके सामने जल मार्ग के जरिए दुश्मन टिक नहीं सके। 1965 में भारत पर कई हमले किए गए और इसक जवाब में भारत नें 1971 में ऑपरेशन ट्राइडेंट के द्वारा पाकिस्तान के बंदरगाह को पूरी तरह से तबाह कर डाला।
वैसे भारत की समुद्री सीमा बहुत विशाल है और इस विशाल जल क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना अडिग खड़ी हुई है। नौसेना के इसी महत्व और उपलब्धियों को सलाम करने के लिए हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या था ऑपरेशन ट्राइडेंट और भारत के द्वारा कैसे इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया।
इस दिन का ऐतिहासिक महत्व भी है। दरअसल 1971 की शुरुआत में भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ था, जिसमें जल सेना ने जीत दिलाई थी। और इसलिए हम 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाते हैं।
1965 भारत-पाकिस्तान का युद्द
हमें इस पूरे मामले को समझने के लिए आपको 1965 के दौर में ले जााना होगा। जहां भारत-पाकिस्तान का युद्द चल रहा था। पाकिस्तान कश्मीर और पंजाब में बुरी तरह मात खा रहा था। तभी पाकिस्तान की नेवी अपने युद्धपोत PNS खैबर से गुजरात के द्वारका में मिसाइल दागती है। जहां पाकिस्तान का टारगेट द्वारका में लगा रडार और लाइट हाउस था। लेकिन ज्यादातर मिसाइलें या बम मंदिर और रेलवे स्टेशन के बीच की तीन किलोमीटर की समुद्री रेत पर गिरे। और बहुत से फटे ही नहीं। हमले में सिर्फ रेलवे गेस्ट हाउस, एक सीमेंट फैक्ट्री और कुछ इमारतों को नुकसान पहुंचा।
नेवी को डिफेंसिव मोड में ही रहने को कहा गया
जिसके बाद इंडियन नेवी उस वक्त पाकिस्तान के हमले का जवाब देना चाहती थी, लेकिन सरकार ने रणनीतिक वजहों से उस वक्त नेवी को डिफेंसिव मोड में ही रहने को कहा गया। लेकिन अब भारत को यह यहसास हो चुका था कि अब नेवी को मजबूत बनाने का वक्त आ चुका है। और भारत इस दौरान नेवी को मजबूत करने के लिए कई तरह की नीति बनाती है, उन्हें घातक हथियार लेस बनाया जाता है इसके अलावा सेना को विदेशों में भी ट्रेंनिंग के लिए भेजा जाता है और अब दौर आता है 1971 का बता दें कि अब तक भारतीय नेवी में बहुत कछ बदलाव हो चुका था।।
बांग्लादेश में गृहयुद्ध
1971 की बात है पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था।। तभी अक्टूबर में इंडियन नेवी के चीफ एडमिरल SM नंदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने गए थे। प्रधानमंत्री से मिलते ही नंदा ने पूछा, ‘ यदि हम कराची बंदरगाह पर हमला करें, तो क्या इससे सरकार को कोई आपत्ति होगी?’ जवाब में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा कि आप ऐसा सवाल क्यों पूछ रहे हैं। नंदा ने कहा, ‘1965 में नेवी से खासतौर से कहा गया था कि वो भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करे’ इस पर इंदिरा गांधी ने कहा, ‘इफ देयर इज अ वॉर, देयर इज अ वॉर।’ यानी अगर लड़ाई है, तो लड़ाई है।
ऑपरेशन ट्राइडेंट
फिर क्या था इसके बाद कराची बंदरगाह पर हमले की योजना बनाई जाती है। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की एयरफोर्स भारत में हवाई हमले करता है।। और 4 दिसंबर 1971 की रात इंडियन नेवी कराची बंदरगाह पर सर्जिकल स्ट्राइक कर उसे तबाह कर देती है। और इस पूरे अभियान को ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ नाम दिया गया।