हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व भाद्रपद अमावस्या का है। भादों अमावस्या के नाम से इसे जानते हैं। 18 अगस्त मंगलवार यानी आज यह तिथि है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, दान-पुण्य एवं पितरों की शांति के लिए तर्पण एवं व्रत भाद्रपद अमावस्या के दिन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कालसर्प दोष मुक्ति के लिए भी भाद्रपद अमावस्या श्रेष्ठ होती है। कुछ विशेष कार्य पितरों की शांति के लिए इस दिन किए जाते हैं।
स्नान और दान-पुण्य जरूर करें भाद्रपद अमावस्या के दिन
पवित्र नदी अथवा जलकुंड में भाद्रपद अमावस्या के दिन शास्त्रों के अनुसार स्नान करें। दान-स्नान का बहुत महत्व अमावस्या पर माना जाता है। किसी पवित्र नदी, कुंड में स्नान प्रातःकाल की बेला में इस दिन जरूर करें साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य दें।
पिण्डदान करें पितरों की शांति के लिए
शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ तर्पण के लिए भाद्रपद अमावस्या का दिन उत्तम होता है। अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किसी नदी के तट पर पिंडदान और दान इस दिन करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति व्यक्ति को मिल जाती है। पिंड दान अर्पित पूर्वजों को करें और गरीबों को दान दें। मान्यता है कि शांति और मोक्ष प्राप्त पूर्वजों को ऐसा करने से होता है।
शनि महाराज को प्रसन्न जरूर करें अमावस्या के दिन
शनिदेव की पूजा करने का महत्व भाद्रपद अमावस्या के दिन होता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप अमावस्या के दिन पूजा कर सकते हैं। बता दें कि शनिवदेव का दिन अमावस्या के दिन माना गया है। शनिवदेव की पूजा का इस दिन बहुत महत्व होता है। शनि ग्रह से जुड़ी चीजों को अवश्य दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
उपाय करें कालसर्प दोष निवारण के लिए
जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष भाद्रपद अमावस्या के दिन बनता है उन्हें विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण अमावस्या के दिन कराना चाहिए। ऐसा करने से कालसर्प दोष की वजह से जो प्रभाव होते हैं वह कम हो जाते हैं। राहु-केतु के कारण कालसर्प दोष कुंडली में बनता है।
दीपक जलाएं सरसों के तेल का
अपने पूर्वजों की शांति के लिए संध्या के समय सरसों के तेल का दीपक भाद्रपद अमावस्या के दिन किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर जलाएं। साथ ही पीपल की सात परिक्रमा प्रार्थना करते हुए लगाएं।
ये है भाद्रपद अमावस्या तिथि और मुहूर्त
18 अगस्त 2020 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट से भाद्रपद अमावस्या आरंभ होगी और 19 अगस्त 2020 की सुबह 8 बजकर 11 मिनट तक भाद्रपद अमावस्या समाप्त होगी।