वैशाख पूर्णिमा तिथि आज है। हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार, बहुत ही महत्वपूर्ण यह तिथि मानी जाती है। ऐसे कहते हैं कि भगवान विष्णु का अवतरण इस तिथि के दिन हुआ था। पापों से मुक्ति के लिए गंगा स्नान, व्रत, दान-पुण्य इस दिन किया जाता है। चलिए आपको इस तिथि का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और इसका संबंध क्या है भगवान विष्णु जी से बताते हैं।
इस रूप में भगवान विष्णु जी का हुआ था अवतरण
भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा तिथि के दिन पर हुआ था। विष्णु जी का स्वरूप ही भगवान बुद्ध को माना जाता है। यही वजह है कि बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी वैशाख पूर्णिमा को जाना जाता है। 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी नगर में भगवान बुध का जन्म हुआ था।
ये है वैशाख पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
6 मई को शाम को 7 बजे 46 मिनट से पूर्णिमा आरंभ हुई और 7 मई को शाम 4 बजकर 16 मिनट तक पूर्णिमा समाप्त होगी।
वैशाख पूर्णिमा की व्रत विधि
वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत का संकल्प सुबह स्नान से पहले कर लें।
उसके बाद स्नान पवित्र नदी या कुंड में करें। ध्यान रहे वरुण देव को प्रणाम स्नान से पूर्व करें।
सूर्य मंत्र का उच्चारण स्नान के पश्चात करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
भगवान मधुसूदन की पूजा स्नान से निवृत्त होकर करें और नैवेद्य अर्पित उन्हें करें।
आज के दिन दान-दक्षिणा भी जरूर करें।
ये है वैशाख पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के दृष्टि से मनुष्य के मन और शरीर पर प्रत्यक्ष रूप से पूर्णिमा तिथि का प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष में मन और द्रव्य पदार्थों का कारक चंद्रमा को कहा गया है। दरअसल चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में इस दिन होता है। इसलिए कहते हैं कि पूर्णिमा का सर्वाधिक प्रभाव आज के दिन व्यक्ति के मन पर पड़ता है। जबकि लगभग 80 फीसदी द्रव्य पदार्थ मनुष्य के शरीर में है। चंद्र ग्रह की पूजा का पूर्णिमा को विधान है, ताकि चंद्रमा का शुभ प्रभाव मन और शरीर पर पड़े।