6 अप्रैल यानी कल से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होने जा रहा है। वहीं सभी देवी मंदिरों में भी जोरो शोरो से तैयारियां चल रही हैं। बता दें कि नवरात्रि में 9 दिन मां के 9 रूपों की पूजा अर्चना की जाती है।
शैलपुत्री,ब्रम्हचारिणी,चंद्रघंटा,कूष्मांडा,स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी और सिद्घिदात्री नवरात्रि के पूरे 9 दिन इन्हीं देवियों की पूजा की जाती है।
ये दुर्लभ संयोग बन रहा है इस साल
शहर के सारे मुख्य मंदिरों में लगभग सारी तैयारियां हो गई हैं। नवरात्रि में इस साल ये दुर्लभ संयोग होंगे। इन नवरात्रि में नौ दिनों में सर्वार्थसिद्घि योग,रवियोग,रविपुष्य योग,तथा भद्रा स्वर्गलोक बन रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस तरह के संयोग में देवी साधना ज्यादा फलदायक होती है।
9दिन, 9 संयोग
1) 6 अप्रैल प्रतिपदा घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त
2) 7 अप्रैल द्वितीया सर्वार्थ सिद्धि योग
3) 8 अप्रैल तृतीया रवि योग
4) 9 अप्रैल चतुर्थी सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, स्वर्गलोक की भद्रा
5) 10 अप्रैल पंचमी सर्वार्थ सिद्धि रवि योग
6) 11 अप्रैल षष्टी रवि योग
7) 12 अप्रैल सप्तमी सर्वार्थ सिद्धि योग
8) 13 अप्रैल अष्टमी धामनवमी रवियोग
9) 14 अप्रैल नवमी रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, नवरात्रि वत्र पारणा
शहर के कई सारे प्राचीन मंदिरों को श्रद्घालुओं द्वारा सजाया जा रहा है। 6 अप्रैल से माता रानी का दरबार मनोकामना ज्योति कलश से जगमग होगा। जसगीत की धूम रहेगी।
पंडित मनोज शुक्ला के मुताबिक मां भगवती दुर्गा का वाहन सिंह है। लेकिन हर वक्त नवरात्रि पर तिथि के अनुसार अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। कलश स्थापना होने की वजह से मां दुर्गा शनिवार के सिंह की बजाय घोड़े पर सवार होकर आएंगी।
सोमवार और रविवार को प्रतिपदा तिथि होने की वजह से मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार के दिन माता का वाहन घोड़ा होता है गुरूवार और शुक्रवार के दिल माता डोली पर चढ़कर आती है। वहीं बुधवार के दिन मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं। इस बार 6 अप्रैल से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को है।