सोमवार 30 मार्च यानि आज नवरात्रि में दुर्गा-उपासना के छठे दिन पूजा का खास महत्व होता है। माँ दुर्गा की छठी शक्ति का नाम कात्यायनी है। हिन्दू पौरणिक मान्यतों के अनुसार कहा जाता है मां कात्यायनी की सच्चे मान से पूजा करने से जिन भी लोगों की शादी में बाधा आ रही होती है वो जल्दी ही दूर हो जाती है। क्योंकि भगवान बृहस्पति जल्दी ही प्रसन होकर विवाह का योग जल्द ही बना देते हैं।
मान्यता यह भी है कि यदि सच्चे मन से देवी कात्यायनी का ध्यान किया जाये तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति सदैव बानी रहती है। बता दें कि माता कात्यायनी की उपासना से भक्त को अपने आप आज्ञा चक्र जागृति की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है।इसके आलावा मां कात्यायनी की आराधना करने से रोग,शोक,संताप एवं भय का भी नष्ट होता है।
मां कात्यायनी का रूप
देवी कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही चमकीला और भव्य है। माता की चार भुजाएं है इनके दाहिनी ओर वाला ऊपर का हाथ अभय मुंद्रा में है,जबकि नीचे वाला हाथ वरमुन्द्रा में है। वही बाई ओर वाले हाथ में कमल व फूल सुशोभित है। माता कात्यायनी का वाहन सिंह है।
जानें कौन है मां कात्यायनी
कहा जाता है की महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इस वजह से उन्हें मां कात्यायनी कहा जाता है। इसके अलावा उन्हें ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। बताया जाता है अनुसार गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर मां कात्यायनी की ही पूजा की थी। कहा यह भी जाता है की मां कात्यायनी ने ही अत्याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से छुटकारा दिलवाया था।
मां कात्यायनी का पसंदीदा रंग और भोग
माता कात्यायनी का मनपसंद रंग लाल है। मान्यता के अनुसार माता को शहद का भोग लगाने से उन्हें अत्यंत प्रसन्न किया जा सकता है। नवरात्रि के छठे दिन पर मां कात्यायनी को पूजा करते वक्त शहद का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
नवरात्रि के छठे दिन की पूजा विधि
-नवरात्रि के छठे दिन यानी माता कात्यायनी की पूजा वाले दिन षष्ठी को स्नान कर लाल या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
-इस दिन घर के मंदिर में देवी कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल से छिड़काव करें।
-अब देवी मां के सामने दीपक जलाएं। हाथ में फूल लेकर मां को प्रणाम करें साथ ही उनका पूरी तरह ध्यान करें।
-इसके बाद मां कात्यायनी को पीले फूल, कच्ची हल्दी की गांठ व शहद समर्पित करें ।
-अब धूप-दीपक से मां की आरती करें। आरती कर लेने के बाद माता रानी को भोग लगावें और प्रसाद बाटें एवं स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।