छठ पूजा का महापर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। यह पर्व चार दिन तक मनाया जाता है और 20 नवंबर शुक्रवार यानी आज इसका मुख्य दिन है। कार्तिक माह शुुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह दिन मनाते हैं। जो महिलाएं व्रत रखती है वह इस दिन छठ माई से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर कामना करती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि सूर्यास्त का समय और अर्घ्य देने की विधि आज कब है।
ये है छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
संध्या अर्घ्य मुहूर्त इस दिन का सबसे मुख्य होता है। सूर्यास्त के समय सूर्य देव को संध्या अर्घ्य मुहूर्त में जल चढ़ाना होता है। उसके बाद ऊषा अर्घ्य मुहूर्त अगले दिन सप्तमी को खास होता है। जल चढ़ाने का विधान उगते हुए सूर्य इसमें होता है। सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 26 मिनट पर षष्ठी तिथि को है।
यह सामग्री है छठ पूजा से जुड़ी हुई
छठ पूजा के दौरान यह सामग्री आवश्यक होती है। बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी, नाशपाती, बड़ा नींबू,शहद,पान, साबूत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई, प्रसाद के रूप में ठेकुआ,मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा,चावल के बने लड्डू आदि।
ये है पूजा एवं अर्घ्य की विधि
जो भी सामग्रियां छठ पूजा में आवश्यक होती हैं उन्हें सबसे पहले एक बांस की टोकरी में रख दें।
उसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें और उस दौरान सूप में सारे प्रसाद रखें फिर दीपक सूप में ही जलाएं।
इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य नदी में उतरकर दें।
ऐसे आपकी छठ पूजा की सही विधि संपन्न होगी।
ये है छठ पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव की उपासना और छठी मैया की आराधना छठ पूजा में करते हैं। सनातन संस्कृति में देवता के तौर पर सूर्य की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, सृष्टि की आत्मा सूर्य देव को कहा गया है। मनुष्यों, जीवों एवं पेड़-पौधों का जीवन इसके प्रकाश से अस्तित्व में है।
ऊर्जा का ही स्रोत सूर्य सिर्फ नहीं होता है बल्कि ऐसे तत्व इसके प्रकाश में होते हैं जिनसे रोग-दोष से छुटकारा मनुष्य और जीवों को मिलता है। साथ ही भोजन पेड़-पौधों को भी प्राप्त होता है। इसके अलावा छठी माई की पूजा संतान की कामना और उसके सुखी जीवन के लिए भी करते हैं।