छठ का त्योहार 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक चलेगा। छठी मइया को अघ्र्य देने के लिए सभी भक्त 2 नवंबर की शाम को पानी में उतरेंगे। इसके बाद 3 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अघ्र्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाएगा। लेकिन 31 अक्टूबर से छठ पर्व की शुरूआत नहाए-खाए से होगी।
इसके बाद 1 नवंबर को खरना या लोहंडा मनाया जाएगा। इस दिन स्वाष्टि गन्ने की रस की खीर बनाई जाती है। इसके बाद प्रसाद के भरी बांस की टोकरी दउरा या दौरा भी कहा जाता है।
छठी मइया कौन है?
कार्तिक मास की पष्ठी को छठ का पर्व मनाया जाता है। छठे दिन पूजी जाने वाली पष्ठी मइया को बिहार के लोग छठी मइया कहकर पुकारते हैं। छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि छठ का पर्व संतान के लिए भी मनाया जाता है।
खासकर ऐसी दपंत्ति जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ। वो लोग छठ का व्रत रखते हैं ,बाकि के लोग अपने बच्चों की सुख-शांति के लिए छठ मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा के वक्त पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन है। इसलिए लोग सूर्य को अघ्र्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं। वहीं पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का रूप माना जाता है।
पहला अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 2 नवंबर, 06:33 AM
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 2 नवंबर, 05:36 PM
छठ पर्व की तारीख
31 अक्टूबर – नहाय-खाय
1 नवंबर – खरना
2 नवंबर – शाम का अर्घ्य
3 नवंबर – सुबह का अर्घ्य