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Christmas 2019: जानें सैंटा क्लॉज कैसे बने संत निकोलस

जिंगल बेल जिंगल बेल की धुन साल के अंत में सुनाई देती है। इस दौरान मौसम भी सर्द होता है जिसका अपना ही मजा होता है। हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

जिंगल बेल जिंगल बेल की धुन साल के अंत में सुनाई देती है। इस दौरान मौसम भी सर्द होता है जिसका अपना ही मजा होता है। हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दौरान सेंटा क्लॉज का इंतजार बच्चे करते हैं क्योंकि कई सारे गिफ्ट वह बच्चों के लिए लेकर आते हैं। 
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ईसाई समुदाय क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं। वह जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के तौर पर यह दिन मनाते हैं। सैंटा क्लॉज का ही सबसे ज्यादा क्रेज क्रिसमस के अवसर पर होता है। सैंटा क्लॉज से उपहार मिलने का बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन आपको पता है कि बच्चों को उपहार सैंटा क्लॉज क्यों देते हैं और यह परंपरा कब शुरु हुई इसके बारे में भी आपको बताते हैं। 
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सैंटा क्लॉज को लेकर यह कहा जाता है कि उत्तरी ध्रुव में उनका घर है और उड़ने वाले रेनडियर की गाड़ी पर सैंटा चलकर आते हैं। 19वीं सदी से सैंटा क्लॉज का यह रूप परंपरा में आया इससे पहले नहीं ऐसा होता था। 
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असली सैंटा क्लॉज संत निकोलस को मानते हैं। भगवान इशु की मौत के 280 साल बाद संत निकोलस का जन्म मायरा में हुआ था। हालांकि बचपन में  ही अनाथ संत निकोलस हो गए थे और प्रभु यीशु में उकनी आस्‍था बहुत गहरी थी। 
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ईसाई धर्म के पादरी संत निकोलस बड़े होकर बने उसके बाद वह बिशप भी बन गए। बच्चों और जरूरतमंद लोगों को उपहार देना उन्हें बहुत पसंद था। 
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हमेशा ही आधी रात को ही संत निकोलस किसी को भी तोहफा देते थे। दरअसल उन्हें पसंद नहीं था कि उन्हें कोई उपहार देते समय देखें। साथ ही वह किसी को भी अपनी पहचान नहीं बताना चाहते थे। 

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