जब कभी हम मॉल या किसी फूड स्टोर पर जाते हैं तब वहां हमें सामान के साथ-साथ कैरी बैग के पैसे भी अलग से देने पड़ते हैं। वैसे तो लोगों का कैरी बैग के पैसे देने का बिल्कुल भी मन नहीं होता है लेकिन उन्हें फिर भी बेमन से पैसे देने ही पड़ते हैं। मगर हाल ही में चंड़ीगढ़ में एक पिज्जा कंपनी को ग्राहक से कैरीबैग के लिए 14 रुपए चार्ज करना काफी ज्यादा मंहगा पड़ गया है। जी हां क्योंकि इसके बदले अब कंपनी को 10 लाख रुपए चुकाने पड़ गए हैं।
दरअसल हुआ कुछ यूं कि चंडीगढ़ में इस पिज्जा कंपनी ने एक शख्स से कैरीबैग के 14 रुपए अलग से चार्ज कर लिए थे। इसे शख्स ने उपभोक्ता फोरम के आदेशों को स्टेट कमीशन में चुनौती दी थी। स्टेट कमीशन ने उपभोक्ता फोरस के आदेश को सही ठहराते हुए दो अलग-अलग मामलों पर पिज्जा कंपनी पर करीब 10 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया है।
इसके साथ ही कंपनी की वाट लगा दी है। कमीशन के अनुसार कंपनी लोगों की मजबूरी का कोई फायदा नहीं उठाना चाहिए। इतना ही नहीं कंपनी ने अपनी सफाई देते हुए यह भी कहा है कि वह पिज्जा को पहले से ही एक कार्डबोर्ड बॉक्स में पैक कर उपभोक्ता को देते हैं। ऐसे में वो किसी को कैरीबैग नहीं देर सकते हैं।
जिस शख्स ने पिज्जा कंपनी के खिलाफ शिकायत की है उसका नाम पंकज चांदगोठिया है। वो सेक्टर-28 सी का निवासी है। पेशे से यह शख्स वकील है। उन्होंने उपभोक्ता फोरम में सेक्टर-68 स्थित डोमिनोज जुबिलेंट फूड वक्र्स लिमिटेड के खिलाफ शिकायत करी थी। उन्होंने बताया था कि दो पिज्जा लेने के लिए उन्होंने अपने ड्राइवर को स्टोर में भेजा था।
इन दो रेगुलर पिज्जा के लिए 306 रुपए मांगे थे। लेकिन जब बिल में देखा तो उसमें कैरीबैग के 14 रुपए एक्ट्रा लिए गए थे। इस दौरान पंकज ने पिज्जा कंपनी पर यह आरोप लगाया कि स्टोर में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया था कि कैरीबैग के अलग से पैसे क्यों चार्ज किए जाएंगे।
वहीं फोरम ने 14 रुपए वापस करने व मानसिक पीड़ा एंव उत्पीडऩ के लिए 100 रुपए का मुआवजा और 500 रुपए मुकदमा खर्च देने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही कंपनी को राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग चंडीगढ़ के सेक्रेटरी के नाम पर कंज्यूमर लीगल ऐड अकाउंट में 10 हजार रुपए भी जमा करवाने के लिए कहा गया है। वैसे तो इन सभी चीजों से पिज्जा कंपनी ने स्टेट कमीशन में चुनौती दे दी। बावजूद इसके वहां भी उपभोक्ता की जीत हुई। पूरे एक साल केस चलने के बाद कंपनी को 10 लाख रुपए का हर्जाना भुगतना पड़ा।