एक शोध के अनुसार शोधकर्ताओं को यह पता चला है कि जो लोग डेट करते हैं वह अवसाद का शिकार हो जाते हैं। जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में यह शोध हुआ है। इस शोध पर लेखकर बुरक डॉग्लस ने कहा है कि डेटिंग एप्स बढ़ रहे हैं जिसके बाद लोग कम उम्र में ही एक-दूसरे को डेट करना शुरु हो जाते हैं जिसके बाद अवसाद का खतरा भी हो जाता है।
फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई डॉग्लस कर रहे हैं। जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की हेल्थ पत्रिका में इस अध्ययन को छापा गया है। कक्षा 10वीं के 594 विद्यार्थियों को इस शोध में शामिल किया था। इन सभी को चार श्रेणियों में शोधकर्ताओं ने बांट दिया। उसके बाद टीचर की रेटिंग्स और कुछ प्रश्न दिए गए जिसकी तुलना में यह सामने आया।
इस शोध में साफ हो गया है डिप्रेशन जैसी गंभीर बिमारी की खतरा उन लोगों को नहीं होता है जो डेटिंग नहीं करते हैं। डेटिंग करने वाले लोगों के मुकाबले इन लोगों में कौशल की क्षमता ज्यादा होती है। आजकल डेटिंग एप्स इतने बढ़ गए हैं जिसका इस्तेमाल करके कम उम्र वाले बच्चे डेट करना शुरु हो जाते हैं। जिसके बाद अवसाद का खतरा उनमें बढ़ जाता है।
इस शोध में यह भी स्पष्ट किया गया है कि रोमांटिक रिश्ते में जो बच्चे नहीं आते हैं उनका सामजिक कौशल डेटिंग करने वाले लोगों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है। इन लोगों पर डिप्रेशन का खतरा नहीं होता है ना ही कभी ये डिप्रेशन में जाते हैं।
जो लोग डिप्रेशन से ग्रसित होने लगते हैं पहले तो वह समाज से दूर होते हैं। समाज में इन लोगों को रहना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है। जिन लोगों को डिप्रेशन होता है कोई भी चीज उन्हें अच्छी नहीं लगने लगती। जो खुशी के पल उनके सामने होते हैं उनमें भी वह गम खोजते रहते हैं।
जो लोग डिप्रेस होते हैं वह कभी भी सकारात्मक सोच की तरह सोचता नहीं और ना ही इसे बढ़ावा देता है। डिप्रेशन में आए लोगों को लगता है कि उनके जीवन से सारी खुशियां खत्म हो गईं। यही वजह है कि डिप्रेशन वाले लोगों की जीने की इच्छा खत्म हो जाती है। अपनी भावनाओं को जाहिर करना यह लोग छोड़ देते हैं।