छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में एक माना जाता है। छठ पूजा के व्रत में नियम का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि व्रत नियमों का पालन करने वाले भक्तों की छठी मइया हर मनोकामना पूरी करती हैं। छठ महापर्व की 8 नवंबर 2021 से शुरूआत हो चुकी है।
तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है। छठ पूजा के दौरान बहुत ही विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ कई नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी होता है। यह व्रत जितना कठिन होता है उतने ही कठिन इसके नियम होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रती महिलाओं की सेवा करने से छठी मइया प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
व्रती महिलाओं को अनुष्ठान के दौरान जमीन पर सोना चाहिए। इन दिनों व्रती महिला को पलंग या तख्त पर सोने की मनाही होती है।
छठ का व्रत करने वाली महिलाओं को छठपर्व के हर दिन नए वस्त्र धारण करने चाहिए।
छठ पूजा में बांस के सूप का प्रयोग करना चाहिए। इस बांस में छठी मइया को अर्पित की जाने वाली सभी सामग्री रखनी चाहिए। सूप में एक दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि छठ पूजा का प्रसाद बांटने से छठी मइया प्रसन्न होती हैं। इसलिए छठ पूजा का प्रसाद अधिक मात्रा में बनाना चाहिए।
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। भगवान सूर्य को तांबे के बर्तन से अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार प्याज और लहसुन का सेवन करना इन 4 दिनों में वर्जित माना जाता है।
प्रसाद तैयार करते समय खुद कुछ नहीं खाना चाहिए।
जिस जगह आप प्रसाद बना रहे हैं, वहां पर पहले खाना न बनता हो।
पूजा के दिनों में किसी को भी फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद फलों का सेवन कर सकते हैं।
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। भगवान सूर्य को तांबे के बर्तन से अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।