13 सितंबर से शुरू हुए श्राद्घ पक्ष 28 सितंबर के दिन समाप्त हो जाएंगे। करीब 15 दिनों तक चलने वाले श्राद्घ के आखिरी दिन यानि सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी पूर्वजों का श्राद्घ किया जाता है और जो श्राद्घ आप करना भूल गए होते हैं इसी में यह पूरा हो जाता है।
1.इस बार सर्वपितृ अमावस्या शनिवार के दिन होने वाली है जिसका सबसे ज्यादा महत्व भी है। जी हां क्योंकि ऐसा संयोग करीब 20 सालों बाद बन रहा है। इसलिए इस खास दिन पर आप काले तिल का दान अवश्य करें। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी।
2. 28 सितंबर के दिन गोचर में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन कन्या राशि में चंद,मंगल,बुध,शुक्र ओर सूर्य ग्रह भी उपस्थित रहेंगे। जो खास तौर पर फलदायी होगा। ऐसे में पूर्वजों को आप सफेद फूलों की माला जरूर चढ़ाएं।
3.पितृपक्ष में पृथ्वी पर विराजमान होते हैं और पितृ पक्ष के अंतिम दिन वो अपने लोक वापस चले जाते हैं। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पूर्वजों को खीर का भोग लगाना अच्छा होता है।
4.पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए सर्वपितृ अमावस्या पर एक लोटे में जल ,फूल,दूर्बा,गुड़ और तिल मिलाएं। अब इसे पितरों को अर्पित करें। जल अर्पित करने के लिए जल को हथेली में लेकर अंगूठे की ओर चढ़ाएं।
5.आप श्राद्घ कार्य सूर्योदय से लेकर दोपहर 12:24 मिनट की अवधि के मध्य तक कर सकते हैं।
6.श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण के बाद 1 से ज्यादा ब्राह्मण को भोजन कराएं।
7.सर्वपितृ अमावस्या के दिन कौआ और कुत्ते को खाना खिलाने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे पितरों की भटकती आत्मा को शांति मिलती है।