हर किसी पुरुष को दाढ़ी-मूंछ रखने का काफ़ी ही शौक होता है। कुछ लोगों का घना दाढ़ी-मूंछ अपने आप हो जाता है, तो कुछ इसको पाने के लिए तेल और अन्य सहारे लेते है। पर इन सभी में एक बात काफी ही सुनाई में आती है कि बचपन से ही रेजर का इस्तेमाल करने से बिलकुल मर्दो वाली घनी दाढ़ी-मूंछ आती है। आज कल के समय में दाढ़ी रखना फैशन बन गया है। इससे बच्चे भी प्रभावित होते हैं।
अपनी उम्र से पहले के बच्चे जो अपनी दाढ़ी बढ़ाना चाहते हैं, वे अपने परिवार से छुपा कर रेजर का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। इस उम्मीद में कि शेविंग करने से बाल घने, काले होंगे? लेकिन क्या ये सच है हालाँकि, यह असत्य है। यह सबसे बड़ा शेविंग मिथक है, जो बच्चों को भी दर्दनाक विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
11 और 12 साल की उम्र के बीच लड़कों को पहली बार यौवन का अनुभव होता है। 15 से 17 वर्ष की आयु के आसपास यौवन समाप्त होने लगता है। उपयुक्त दाढ़ी की उम्र की शुरुआत इसी बिंदु पर होती है। हालांकि, बच्चे जल्दी दाढ़ी बढ़ाने के चक्कर में अपनी कोमल त्वचा पर रेजर का इस्तेमाल करने लगते हैं।
आपको बता दें कि जब बच्चे शेव करते हैं, तो इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाला ब्लेड उनकी नाजुक त्वचा की सतह से बालों को हटा देता है और उस क्षेत्र में बालों के नरम और पतले सिरों को हटा देता है, जिससे शेष भाग मोटा और काला दिखाई देता है। साथ ही बच्चों की त्वचा सख्त होने लगती है। हालांकि, हमारी दाढ़ी की लंबाई और रंग इससे अप्रभावित रहते हैं।
गौरतलब है कि आदर्श दाढ़ी की उम्र जेनेटिक्स से काफी प्रभावित होती है। जेनेटिक्स यह निर्धारित करता है कि चेहरे पर वर्तमान में बढ़ रहे दाढ़ी के बाल कितने लंबे, घने और कितने लंबे समय तक रहेंगे, साथ ही रंग कब तक काला रहेगा। तो इस बात का यहीं तक असर रहता है कि कम उम्र में दाढ़ी-मूंछ बनाने से चहरे की स्किन हार्ड होती है इसका दाढ़ी के घना होना और रंग पर कोई असर नहीं होता है।