दुनिया भर के कई देशों ने कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए अपने मुख्य शहरों को पूरी तरीके से लॉकडाउन कर दिया है। लेकिन इस वजह से अकेलापन महामारी बुजुर्गों में बढ़ रही है। हाल ही में एक शोध में शोधकर्ताओं से पता चला है कि परिवहन, मनोरंजन और अन्य स्थानीय गतिविधियों से 50 साल की उम्र के ऊपर के लोगों को दूर होने के कारण अकेलापन और अवसाद का स्तर उनमें बढ़ गया है। इसके परिणाम बहुत गंभीर भुगतने पड़ सकते हैं।
बुजुर्गों के लिए ऐसे में लॉकडाउन का विस्तार होना परेशानी का सबब बन सकता है। इसलिए पीएम मोदी ने कहा कि खास देखभाल बुजुर्गों की लोग करें। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान कोरोना को लेकर करें। उन्होंने अपने तीसरे वचन में कहा कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोग आयुष मंत्रालय की सलाह जरूर मानें।
यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के विशेषज्ञों ने 50 साल की उम्र के ऊपर लोगों से पूछा कि अकेला वह कितना महसूस करते थे, उनका सामाजिक नेटवर्क कैसा था और वे स्थानीय वातावरण का इस्तेमाल कैसे करते थे।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि ऐसी जगह स्थानीय वातावरण होती है, जिसे खुद ही लोग बनाते हैं। लोग इसी वातावरण में रहते हैं और काम भी अपना करते हैं और नई चीजों का निर्माण हर दिन करते हैं। हरी-भरी जगहें इस स्थानीय वातावरण में जैसे पार्क होते हैं और स्थानीय सुविधाओं तक पहुंच होती है।
इस शोध में पाया है कि सकारात्मक महसूस जो प्रतिभागी आसपास के वातावरण को लेकर रहते थे, उनमें अकेलेपन का स्तर अब कम हो गया है। लेकिन कोई प्रभाव इससे गंभीर अवसाद के स्तर पर नहीं पड़ता। स्थानीय वातावरण का जो लोग ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते अन्य लोगों की तुलना में उनमें अकेलेपन का स्तर ज्यादा था।
इस तरह दूर अकेलेपन को करें
हर संभव कोशिश अपने आसपास के वातावरण को बेहतर बनाने की करें। बढ़ोतरी स्थानीय सुविधाओं में करें, बुजुुर्गों के चलने करने की क्षमता को बढ़ाएं। ऐसे ही अकेलेपन को उनके दूर किया जा सकता है। चलने-फिरने की क्षमता भी इससे बुजुर्गों की बढ़ेगी और अकेलापन भी दूर होगा।