वैसे तो इस बात में कोई दोराए नहीं है कि महादेव की महिमा तो जगत विख्यात है। वहीं सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ का दिन ही माना जाता है। बात अगर आस्था की करी जाए तो भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। महादेव के मंदिर प्रदेश भर मे हर जगह देखने को मिलते हैं। जहां भक्त पूजा करते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जहां पर शिवलिंग का पूरे दिन में तीन बार रंग बदलता है। ऐसा माना जाता कि यह शिवलिंग सुबह लाल,दोपहर में केसरिया और रात के वक्त सांवला हो जाता है।
जी हां हम आज बात कर रहे हैं ऐतिहासिक शिव मंदिर की जो कि राजस्थान के धौलपुर जिले के बीहड़ में स्थित है। इस अनोखे मंदिर की पहचान अचलेश्वर शिव मंदिर से की जाती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित धौलपुर जिला। यह इलाका चम्बल के बीहड़ों के लिए मशहूर है। जो कि दुर्गम बीहड़ो के अंदर स्थित है भगवान अचलेश्वर महादेव का मंदिर।
इस शिवलिंग के रंग बदलने के पीछे का रहस्य क्या है आज तक इस बात का जवाब नहीं मिल पाया है। यहां पर बहुत बार वैज्ञानिकों की रिसर्च टीमें भी आई है और जांच पड़ताल भी की है ,लेकिन अफसोस की इस चमत्कारी शिवलिंग के पीछे का राज नहीं जान पाए।
इस मंदिर में मांगी गयी हर मुराद होती है पूरी
बता दें कि इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी कुंवारा लड़का या लड़की शादी से पहले मन्नत मांगने आते हैं उनकी जल्दी ही सभी मुरादें पूरी हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान भोलेनाथ की कृपा से लड़कियों को अपना मनचाहा दूल्हा मिल जाता है।
माना ये भी जाता है कि जिन लोगों की शादी होने में परेशानी आती है या फिर शादी नहीं होती तो वह जब मन से शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं तो उनकी जल्दी ही शादी हो जाती है।
भगवान अचलेश्व महादेव का यह मंदिर हजारों साल पुराना है। चूंकि यह मंदिर बीहड़ों में स्थित है और यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही ज्यादा पथरीला व उबड़-खाबड है इसी वजह से यहां पर कम ही लोग पहुंच पाते थे। लेकिन जैसे-जैसे भगवान के चमत्कार कि बातें लोगों तक गई तब से ही यहां भक्तों की भीड़ उमडऩे लगी। अब इस चमत्कारी शिवलिंग की लोग पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
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