दस दिवसीय गणेश उत्सव का समापन गुरूवार 12 सितंबर यानि कल अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीगणेश की अस्थाई प्रतिष्ठित मूर्ति के विसर्जन के साथ होगा। गणेश महापर्व 2 सितंबर से शुरू हुआ। इस दौरान भक्तों ने पूरे 10 दिनों गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर श्रद्घा भक्ति के साथ पूजा,आराधना वंदना आदि किया।
अब पार्थिव प्रतिमा गणेश विसर्जन हवन यज्ञ के साथ अनंत चतुर्दशी को समापन हो जाएगा। आखिरी दिन क्षमा प्रार्थना के साथ ही विध्रहर्ता अस्थाई श्रीगणेश मूर्ति का गुरूवार 12 सितंबर को इस पूजा विधि-विधान के साथ विसर्जन करें।
वैसे विसर्जन यानि की विदाई की वेला में सभी लोग काफी भावुक भी होते हैं। अगले बरस जल्दी ही आने के भाव से भक्त नाचते गाते हैं,विदाई गीत गाते हुए साथ ही फूलों और मालाओं से अबीर उड़ाते हुए श्री गणेश जी को पूरे शहर,नगर,गांव की रक्षा के भाव से भ्रमण कराते हुए विदा करते हैं।
12 सितंबर को गणेश विर्सजन का मुहूर्त सूर्योदय होने के बाद सुबह 8 बजे से शुरू होगा। गणेश प्रतिमा विसर्जन से पूर्व एंव बाद में श्रद्घापूर्वक गणेश जी की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटे।
गणेश प्रतिमा के विसर्जन का समय, तिथि व मुहूर्त…
1. दिनांक 12 सितम्बर 2019।
2.प्रातः 8 बजे से 2 बजे तक यज्ञ हवन करें।
3.प्रातः 9 बजे से 12 बजकर 30 मिनट तक विसर्जन करें।
4. दोपहर 2 बजे से 3 बजकर 30 तीन तक विसर्जन करें।
5. सायंकाल 6 बजकर 30 मिनट से रात्रि 11 बजे तक विसर्जन करें।
विसर्जन से पूर्व पूजा…
1.पहले गणेश जी की आरती का क्रम पूरा कर लें।
2.सबसे पहले दिन की तरह इस दिन भी गणपति बप्पा का षोडशोपचार पूजन संपन्न करें।
3.पूजा करने के बाद हवन कुंड में विधि पूर्वक 108 गणेश के बीज मंत्र एंव अन्य गणेश मंत्रों की आहुति यज्ञ देव को प्रदान करें।
5.आरती पूरी होने के बाद पुष्पांजलि,शंतिपाठ,विसर्जन आदि काम भी करें।4.यज्ञ पूरा हो जाने के बाद गणेश जी चालीसा और गणेश जी की आरती करें।
6.अब किसी पवित्र नदी या तालाब में गणेश जी की अस्थाई मूर्ति का विसर्जन करें। ध्यान रखें जल में विसर्जन से पहले एक बार आरती जरूर कर लें।