कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन 17 मई तक लगा हुआ है। देशव्यापी ने फिलहाल लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है। लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान सकड़ों पर बैठे भिखारियों, गरीबों और मलिन बस्ती वाले लोगों को हो रहा है। उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है।
ऐसे समय में इनकी लिए कुछ एनजीओ या फिर नेकदिल लोग आगे आ रहे हैं और इनको दो वक्त की रोटी दे रहे हैं। इसी बीच सूरत के बिजनेसमैन जिग्नेश गांधी जरूरतमंद लोगों का पेट भर रहे हैं। रोजाना 6 बजे उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है। सरकार ने लॉकडाउन जब पूरे देश में लगाया यानी पिछले 46 दिनों से दो वक्त की रोटी 12000 लोगों को वह मुहैया करा रहे हैं।
बता दें कि टेक्सटाइल मशीनरी के कारोबारी वह रह चुके हैं। दरअसल वह सोशल वर्कर हैं और जब देश पर संकट आया है तो वह कोरोना वॉरियर बनकर लोगों की मदद कर रहे हैं। लगभग 150 किलो से ज्यादा सूरत की स्थानीय मंडी से वह सब्ज़ियां खरीदते हैं। फिर वह 500 किलोग्राम चावल-दाल गोदाम से लेकर आते हैं। उसके बाद जिन जगहों पर भोजन तैयार होता है वहां की 6 जगहों पर पहुंचाते हैं। हालांकि आज भोजन में क्या बनेगा वह भी वहीं पर तय किया जाता है।
45 वर्षीय जिग्नेश गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, खाली पेट सोना कैसा होता है हम जानते हैं, इसलिए भूख से परेशान होते हुए लोगों को नहीं देख सकते। हम भूखों का पेट अभी भर रहे हैं लेकिन यह काम हमने पहली बार नहीं किया है। 16 साल की उम्र में अपने परिवार का गुजर-बसर के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी।
जिग्नेश के अनुसार, वह अभी तक 36 लाख रुपए ख़र्च रोज हजारों लोगों का पेट भरने के लिए कर चुके हैं। उनकी अपनी ग़ैर-मुनाफ़ा संस्था अलायंस क्लब ऑफ सूरत ‘होप’ है जहां से बाकी पैसा आता है। उन्होंने बताया कि कोई मदद उन्हें सरकार या किसी निजी इकाई से नहीं मिली है।