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Kawad Yatra : जाना है कावड़ लेने, जानें कब से हो रही है शुरू और क्या है कावड़ यात्रा के नियम

सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी सबसे खास महीना होता है। इस महीने शिव भक्त जी जान से भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन हो जाते हैं।

सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी सबसे खास महीना होता है। इस महीने शिव भक्त जी जान से भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन हो जाते हैं। सावन के महीने में माना जाता है कि भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। गवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन का महीना होता है।  इस बार सावन के चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं। सावन सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई को है।
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सावन के महीने में शिव कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं। हर साल लाखों भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार बाबा धाम और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरे कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर पैदल जाते हैं और फिर वह गंगाजल भगवान शिव जी को चढ़ाया जाता है।इस साल सावन 14 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 12 अगस्त तक रहेगा। सावन के महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं। 14 जुलाई से ही कावड़ यात्रा निकाली जाएगी।
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शिवभक्त गंगाजल लाने और उससे शिवलिंग का अभिषेक करवाने तक का यह पूरा सफर पैदल और नंगे पांव करते हैं। कावड़ यात्रा शुरू करते ही कावड़ियों के लिए किसी भी प्रकार का नशा करना वर्जित होता है। यात्रा पूरी होने तक उस व्यक्ति को मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करना होता है।
बिना स्नान किए कावड़ को हाथ नहीं लगा सकते, इसलिए स्नान करने के बाद ही कावड़िए अपने कावड़ को छू सकते हैं।कावड़ ले जाने के पूरे रास्ते भर बोल बम और जय शिव-शंकर का उच्चारण करना फलदायी होता है। कावड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर जाना भी वर्जित माना गया है।इसके साथ कांवड़ यात्रा में शुद्धता बहुत जरूरी है।

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