अक्सर ही आप लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने की सलाह देते सुनते और देखते हैं। कहा जाता है कि पेड़-पौधे के बिना धरती पर जीवन नामुमकिन हैं क्योंकि ये ही हमें ऑक्सीजन देते हैं। ऑक्सीजन देने के साथ-साथ पेड़-पौधे मनुष्य द्वारा छोड़े जाने वाली कार्बन डाई आक्साइड को भी ले लेते हैं, जो हमारे के लिए ठीक नहीं होती है। इतना ही पेड़-पौधे के अनेकों फायदें होते हैं।
पेड़-पौधे पर्यावरण को तो संतुलित रखते ही हैं, साथ ही ये पृथ्वी की सुंदरता को भी बढ़ाते हैं। इसी वजह लोग ज्यादातर अपने घरों के बाहर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाते हैं। पेड़-पौधों को लेकर बताया जाता है कि ये हमारी हेल्थ के लिए लाभकारी होते हैं लेकिन उसी तरह इनकी हरियाली हमारी आंखो को भी सुकून देती है। मगर सभी पेड़-पौधे एक जैसे नहीं होते हैं।
जी हां कुछ पेड़-पौधे इतने खतरनाक होते हैं कि उनसे दूर रहने में ही हमारी भलाई होती है। मगर हम गलती से भी इनके पास चले गए तो हमारी जान को खतरा हो सकता है। इसी कड़ी में आज हम आपको एक जहरीले पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी पत्ती को खाते ही दो घंटे के अंदर इंसान की मौत हो सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी केवल दो पत्तियां ही इंसान को यमराज के दर्शन करा सकती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कौन-सा पौधा है। तो बता दें कि हम दुनिया के सबसे जानलेवा पौधों में से एक हेमलॉक प्लांट की बात कर रहे हैं। हेमलॉक पर सफेद रंग के फूल आते हैं, जिसकी वजह से दिखने में ये पौधा बेहद खूबसूरत लगता है लेकिन इस सफेद फूलों वाले इस पौधे का हर एक हिस्सा जहरीला है। इस पौधे में टोक्सिन कोनाइन नाम खतरनाक जहर होता है।
इस पौधे को लेकर एक्सर्ट का कहना है कि हेमलॉक प्लांट ना सिर्फ इंसानों बल्कि जानवरों के लिए भी जानलेवा है। अगर गलती से कोई इसके पत्ते या टहनी को खा लेता है, तो सबसे पहले सांस लेने में दिक्कत होती है और फिर महज 2 घंटे में उस शख्स की मौत हो जाती है। इतना ही नहीं ये इतना डेंजरस है कि स्किन के संपर्क में आने पर भी शरीर में जहर फैल सकता है।
अगर आप सोच रहे हैं कि इस पौधे को फिर जला देना चाहिए। तो हम आपको बताते चले कि अगर इसे जला भी दिया जाए तो इससे निकला धुआं भी जहर की तरह शरीर में प्रवेश कर सकता है। भारत में ये आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में पाया जाता है। आमतौर पर इसके फूल वसंत के शुरुआती दिनों में आते हैं और ये जानलेवा पौधा 3 से 9 फीट तक लंबा होता है।
बताया जाता है कि प्राचीन ग्रीस में राजा अपने राजनीतिक विरोधियों और दुश्मनों को मारने के लिए इस पौधे का इस्तेमाल करते थे। पुरानी कहानियों और ग्रंथों के मुताबिक, प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात पर देवताओं की पूजा न करने और नास्तिक होने का आरोप लगाया गया था। साथ ही उन पर युवाओं को बरगलाने और देशद्रोह के भी गंभीर आरोप थे, जिसकी वजह से उन्हें मौत की सजा के तौर पर इसी जहर को पिलाया गया था।