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बरसाने से लेकर गुजरात तक होली का त्योहार इस अंदाज में मनाया जाता है, जानिए परंपरा

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होली के पर्व को कहते हैं। गजब का उमंग और उत्साह लोगों में होली के दिन दिखाई देता है। हर व्यक्ति की जिंदगी में खुशियां होली रंगों से भर जाती हैं। होली के पर्व

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होली के पर्व को कहते हैं। गजब का उमंग और उत्साह लोगों में होली के दिन दिखाई देता है। हर व्यक्ति की जिंदगी में खुशियां होली रंगों से भर जाती हैं। होली के पर्व को बहुत ही धूम-धाम से देेश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं देश के राज्यों में होली का त्योहार किस तरह से मनाते हैं। 
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इन राज्यों में होली का पर्व बहुत अलग रूप से मनाते हैं
उत्तर प्रदेश 

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बेहद अलग अंदाज में ब्रज क्षेत्र, मथुरा और वृंदावन की होली मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्‍ण और राधा के बीच के प्रेम को होली का यह पर्व दर्शाता है। खेल, मिठाइयों के आदान-प्रदान और मौज-मस्ती के साथ इस दिन यूपी में कई अनुष्ठान करते हैं। एक अनोखी रस्म के साथ बरसाना उत्सव को मनाया जाता है इसमें पुरुषों पर लाठियां महिलाएं बरसाती हैं। साथ ही एक-दूसरे को खूब रंग लोग लगाते हैं। 
राजस्‍थान

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राजस्‍थान में लोग वसंत के मौसम का स्वागत करते हुए होली का जश्न पूरे जोर-शोर से मनाते हैं। पूरे राज्य का रंग होली के पर्व में बिल्कुल ही लग दिखाई देता है। अजमेर में माली और गेर की होली, बृज होली से लेकर भरतपुर तक बिल्कुल ही अलग होली खेली जाती है। हालांकि डोलची होली बीकानेर में खेलते हैं और होली के त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है। 
गुजरात

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गुजरात में भी होली का पर्व बहुत ही अलग अंदाज में मनाया जाता है। यहां की सबसे प्रसिद्ध परंपरा जिसे आज भी लोग मनाते हैं। यहां पर मिट्टी के बर्तन को छाछ से भर कर तोड़ा जाता है। इसी वजह से रस्सी से ऊंचा छाछ के बर्तन को यहां पर बांध देते हैं और मानव पिरामिड लोग ऊंचाइयों पर जाने के लिए बनाते हैं। वहीं रंगीन पानी कुल लोग उन पर फेंकते हैं। कई टोलियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए की जाती है। इस दौरान खूब रंग एक-दूसरे पर लोग डालते हैं। होली के दिन गुजरात में अलग ही तरह का उत्साह नजर आता है। 
ओडिशा और पश्चिम बंगाल

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डोल जात्रा समारोह पश्चिम बंगाल और ओडिशा में होली की तरह भगवान कृष्‍ण को समर्पित है। लेकिन पौराणिक कथा बिल्कुल ही अलग है। राधा के प्रति प्रेम व्यक्त यह त्योहार करता है। राधा और कृष्‍ण की मूर्तियां पालकी पर जुलूस में इस पर्व में हर तरफ मनाई जाती है। झूला झुलाते हुए राधा और कृष्‍ण को भक्त लेकर जाते हैं। 

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