आज सीतामढ़ी की एक महिला ने आखिर साबित कर दिखाया है कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है और न ही ये किसी दायरे में बंधा होता है। जी हां लॉकडाउन के बीच जहां एक ओर लोगों के काम ठप्प पड़े हुए हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस मुश्किल घड़ी में भी अपनी हिम्मत कायम किये हुए हैं। उन्हीं में से एक सुखचैन देवी भी हैं।
दरअसल घर में पैसे नहीं होने और घर का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने नाई बनने का फैसला किया। इसलिए ये महिला लोगों के बाल काटकर और दाढ़ी बनाकर अपनी रोजी-रोटी चला रही हैं। वैसे कुछ भी कहो महिला के इस तरह नाई बनने के चलते हुए वो लोगों के बीच कॉफी मशहूर हो गई हैं।
सीतामढ़ी के बाजपट्टी प्रखंड के बसौल गांव में रहने वाली सुखचैन देवी के पति की नौकरी लॉकडाउन के चलते छूट गई। अब घर में कमाने का कोई और तरीका नहीं होने के कारण उन्हें अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए उन्होंने कैंची और उस्तरे को अपना साथी बना लिया है। इतना ही नहीं अब वो गांव में घूम-घूमकर लोगों के बाल और दाढ़ी बनाने का काम करती हैं।
यह काम करके वो रोजाना करीब 150 से 200 रुपए कमाई कर लेती हैं। इस दौरान खास बात यह है कि इससे उनके परिवार को दो वक्त का खाना नसीब हो जाता है। सुखचैन देवी के इस हौंसले से परिवार के लोग ही नहीं बल्कि गांव वाले और आस-पास के सभी लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं।
बता दें कि इस महिला के दो बेटे और एक बेटी है वहीं पति चंडीगढ़ मे मजदूरी का काम करते थे, लेकिन कोरोना संकट के चलते हुए लॉकडाउन के कारण उनकी नौकरी चली गई, जिससे उन्हें गाँव वापस आना पड़ गया।
सुखचैन देवी का कहना है वैसे उन्हें नाई बनकर काम करने में किसी तरह की शर्म नहीं है क्योंकि कोई काम छोटा नहीं होता है। लेकिन फिर भी वो चाहती हैं कि सरकार से उन्हें सरकारी योजना का लाभ मिले जिससे परिवार के गुजारे में आसानी होगी।
डीएम हुईं मुरीद
वैसे सुखचैन देवी के इस तरह के जज्बे को देखकर सीतामढ़ी की डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा भी उनकी दीवानी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वह हर संभव मदद करने की कोशिश करेंगी। इसके अलावा वो सुखचैन देवी को पार्लर का भी बेहतर प्रशिक्षण उपलब्ध कराने में मदद करेंगी।