रिलायंस जियो ने मार्केट में लांचिंग के बाद से ही टेलीकॉम सेक्टर में खलबली मचा रखी है। मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने दूसरी सभी टेलीकॉम कंपनियों का गणित बिगाड़ कर रख दिया है।
कई छोटी कंपनियों का हाल तो ये हो गया है कि उन्हें अपना बोरिया बिस्तर समेट हाथ खड़े करने पड़ गए। वहीं दूसरी तरह दूसरी बड़ी कंपनियों को मर्जर की राह चुननी पड़ी है। जियो का असर इतना तगड़ा था कि आदित्य बिड़ला ग्रुप की आइडिया को भी इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।
वर्ष 2018 की बात करें तो आइडिया की मार्केट वैल्यू में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की कमी आ चुकी है। फिलहाल आइडिया, वोडाफोन के साथ मर्जर के प्रोसेस से गुजर रही है।
इस हफ्ते गुरुवार को आइडिया के स्टॉक ने 70 रुपए के साथ 52 हफ्ते का लो टच किया। माना जा रहा है वोडाफोन के साथ मर्जर के प्रोसेस में देरी से आइडिया के स्टॉक पर प्रेशर देखने को मिल रहा है। फिलहाल स्टॉक 20 जनवरी, 2017 के बाद अपने लो लेवल पर ट्रेड कर रहा है। वहीं मौजूदा कैलेंडर ईयर यानी वर्ष 2018 की बात करें तो आइडिया का स्टॉक लगभग 35 फीसदी टूट चुका है।
हाल में खबर आई थी कि टेलिकॉम डिपार्टमेंट (डॉट) वोडाफोन के साथ मर्जर से पहले आइडिया सेल्युलर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) लिमिट बढ़ाकर 100 फीसदी करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहा है।
कुछ लीडिंग ब्रोकरेज हाउस ने भी जनवरी, 2018 में जियो द्वारा टैरिफ घटाए जाने के बाद सेक्टर पर प्रेशर बरकरार रहने का अनुमान जाहिर किया था।वहीं जियो की लॉन्चिंग के बाद से आइडिया का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। दिसंबर, 2018 में समाप्त क्वार्टर के दौरान कंपनी को 1284 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।
कंपनी को कॉल कनेक्ट चार्जेस में कमी और टैरिफ पर जारी प्रेशर से तगड़ा झटका लगा था। वहीं ऑपरेशन से होने वाला रेवेन्यू भी लगभग 25 फीसदी घटकर 6,509 करोड़ रुपए रह गया, जबकि दिसंबर, 2017 में समाप्त क्वार्टर के दौरान 8,662 करोड़ रुपए का रेवेन्यू हासिल हुआ था।
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