वैसे चूहों के आतंक ने आमजन के ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े दफ्तर वालों की भी नाक में दम किया हुआ है। लेकिन जब इन चूहों को भगाने पर हुए सरकारी खर्च के बारे में आपको पता लगेगा तब शायद आप भी हैरान तो जरूर होंगे। दरअसल भारतीय रेलवे के चेन्नई डिविजन की ओर से हर एक चूहे को पकडऩे के लिए करीब 22,300 रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई के तरह यह चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। इतना ही नहीं आरटीआई में इस बात का जिक्र भी है कि कहां से कितने चूहे पकड़े गए है। हालांकि अब इस भारी-भरकम रकम पर कोई जवाब देने के लिए राजी नहीं है।
6 करोड़ खर्च में पकड़े ढाई हजार चूहे
मिली जानकारी के अनुसार मई 2016 से अप्रैल 2019 तक शुरू होने वाले 3 सालों में यहां पर चूहे पकडऩे पर करीब 5 करोड़ 89 लाख रुपए खर्च कर दिए गए हैं। इतने रुपए खर्च करने के बाद 2636 चूहें पकड़े गए। हालांकि इसके बाद भी कोई चूहों का आंतक थमा नहीं है और ऑपरेशन जारी है। मोटे-मोटे चूहों के आतंक ने पार्सल डिपार्टमेंट साहित अलग-अलग विभागों में लाखों का नुकसान कर दिया है।
वैसे यह कोई पहली बार नहीं जब ऐसा सबकुछ हो रहा है क्योंकि इससे पहले भी कई सरकारी विभागों में चौंकाने वाले खर्च की रिपोट्र्स सामने आई है। आरटीआई में इस बात के बारे में भी बताया गया कि किस डिविजन से कितने चूहें पकड़े जा चुके हैं।
इसके मुताबिक चेन्नई सेंट्रल,चेन्नई एग्मोर,चेंगलपट्टू,तामब्रम और जोलारपेट रेलवे स्टेशन पर करीब 1715 चूहें पकड़े जा चूके हैं। वहीं 921 चूहें रेलवे के कोचिंग सेंटर से पकड़े गए हैं।इस हिसाब से देखा जाए तो चेन्नई डिवीजन ने एक चूहा पकड़ने के एवज में औसतन 22,344 रुपये खर्च किए हैं।
अधिकारी नहीं जवाब देने के लिए तैयार
सूत्रों के अनुसार चेन्नई रेलवे डिविजन के अधिकारी इस लंबे-चौड़े बिल पर किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार नहीं है। चूहें पकडऩे के मिशन में भारी-भरकम राशि खर्च होने को लेकर हर कोई काफी ज्याद दंग है। इतना पैसा कहां और कैसे खर्च हुआ,इस बात को एक भी अधिकारी जवाब देने के लिए तैयार नहीं।