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अग्नि की जगह, ‘संविधान को साक्षी मानकर’ जोड़े ने थामा एक-दूसरे का हाथ

इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है, जहां लोग अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे को सात जन्मों के लिए अपना बनाते हैं। लेकिन इस बीच मध्य प्रदेश के बैतूल में हुई यह शादी काफी सुर्खियों में है।

इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है, जहां लोग अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे को सात जन्मों के लिए अपना बनाते हैं। लेकिन इस बीच मध्य प्रदेश के बैतूल में हुई एक शादी काफी सुर्खियों में है। दरअसल यहां एक वकील ने अग्नि को नहीं बल्कि देश के संविधान को साक्षी मानकर दुल्हन का हाथ थामा और उसके साथ शादी की है। इसके बाद ये अनोखी शादी चर्चा का विषय बन गई है। विवाह के दौरान युवक और युवती ने कहा कि संविधान हमें जातिगत बंधनों से परे अपनी मर्जी से विवाह करने की अनुमति देता है। 
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भारत के संविधान की उद्देशिका का वाचन
दर्शन और राजश्री की भारत के संविधान में गहरी आस्था है। यही कारण रहा कि दोनों ने शादी बहुत सादगी से की। दोनों ने अपनी शादी में वरमाला से पहले भारत के संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और संविधान को ही शादी का साक्षी माना। दर्शन बैतूल में वकालत करते हैं, जबकि राजश्री हरदा जिले के एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं। दोनो बचपन से एक दूसरे को जानते हैं और अच्छे दोस्त भी हैं। 
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अग्नि की जगह सविंधान में आस्था
जोड़े ने बताया कि बचपन से ही दोनों की संविधान में बहुत आस्था रही है और वो हमेशा से ही संविधान के बनाए हुए नियमों पर चलने का प्रयास करते आए हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों के शादी करने के पीछे सबसे बड़ा कारण हमारी समान विचारधारा है। दोनों देश और संविधान को लेकर एक जैसा सोचते हैं। दोनो चाहते हैं कि देश की भावी पीढ़ियां संविधान में निहित अपने अधिकारों को समझें और जातिवाद मुक्त समाज का निर्माण करें। 
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शादी का कार्ड भी चर्चा में 
इस विवाह की खास बात यह भी रही की विवाह के पहले भेजे गए आमंत्रण पत्र में भी संविधान का जिक्र किया गया है। दर्शन ने मित्रों, रिश्तेदारों को भेजे निमंत्रण पत्र में लिखा की संविधान के आर्टिकल 21 के तहत वे अपने जीवन जीने के अधिकार के तहत शादी कर रहे हैं। इसलिए आप भी संविधान के आर्टिकल 19 (i)(b) के तहत शांति से एकत्रित होने के अधिकार का उपयोग कर इस शादी में आकर उन्हें आशीर्वाद दें। 
बता दें कि बैतुल में संविधान को साक्षी मानकर शादी करना की कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी तीन साल पहले जिले में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने मलेशिया में भारत के संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया था, जिसके बाद से लगातार ये कहा जा रहा है कि इस तरह से शादी करना युवाओं को जागरूक करने के की एक पहल है।

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