कोरोना जैसे जानलेवा वायरस ने गरीबों की जिंदगी को अब किसी दीन का नहीं छोड़ा है। जहां एक ओर खाने को एक समय का भोजन नहीं नसीब हो पा रहा तो वहीं दूसरी तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सबसे बड़ी दिक्कत। ऐसे में उन्हें पैदल या फिर साइकिल से ही लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने देख आप बहुत परेशान होने वाले हैं,जी हां झारखंड के गढ़वा जिले में 60 साल का बेटा अपनी 105 वर्षीय मां को पीठ पर बैठाकर बैंक ले गया। मां-बेटे की कहानी और उनकी इस तस्वीर ने लोगों को झकझोर दिया।
एक निजीचैनल की रिपोर्ट के अनुसार यह घटना सोमवार को गढ़वा जिला के रांका में हुई। दरअसल, ब्लॉक एडमिनिस्ट्रेशन ने रांका में वनांचल ग्रामीण बैंक के बाहर कोरोना टेस्ट का कैम्प लगाया था और इसमें जिसका टेस्ट नेगेटिव आया तो उन्हें ही बैंक में जाने दिया जा रहा था। इस पुरुष ने बताया,जब मैं मां को लेकर बैंक पहुंचा तो वहां कोविड-19 के टेस्ट किए जा रहे थे। मैं मां का टेस्ट नहीं करवा सका तो बैंक अधिकारियों ने हमें बिल्डिंग में प्रवेश नहीं करने दिया।
4 किलोमीटर तक चला
60 वर्षीय बिफन भुयान ने दावा किया कि जब उन्हें अपनी 105 साल की मां को बैंक ले जाने का कोई साधन नहीं मिला, तो वह उन्हें अपने कंधे पर बैठाकर 4 किलोमीटर की दूरी तय कर रांका ले गए। क्योंकि उनको ऐसा लगा बैंक पहुंचकर वो अपनी मां के जन धन अकाउंट से उनकी पेंशन का पैसा निकाल सकें।
इस दिहाड़ी मजदूर की मां के जन धन खाता में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत तीन महीने की 1500 रुपये पेंशन आई थी,मगर कोरोना की रिपोर्ट ना होने की वजह से दोनों को बैंक से खाली हाथ घर लौटना पड़ा। मगर जब शख्स की मां को पीठ पर बैठाकर चलने वाली तस्वीर स्थानीय मीडिया में छाई तो गढ़वा के डिप्टी कमीश्नर को बुजुर्ग महिला की सहायता करने के लिए कहा। साथ ही कहा गया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी को ऐसी दिक्कत का सामना नहीं होनी चाहिए। वहीं मंगलवार को वीजी बैंक के ब्रांच मैनेजर भुयान के घर पहुंचे और उनकी मां को पेंशन के 1500 रुपये दिए और उन्हें आगे से नजदीकी कस्टमर सर्विस प्वाइंट से पेंशन दी जाएगी।