लॉकडाउन हो जाने की वजह से देशभर में फंसे मजदूरों के हौसले की आए दिन नई-नई कहानियां सामने आ रही हैं। ऐसी ही कुछ कहानी बिहार के रहने वाले मोहन पासवान और उनकी बेटी ज्योति की है। दरअसल 15 साल की ज्योति ने अपने बीमार पिता को साइकिल बैठाकर गुरुग्राम से बिहार तक का सफर तय किया है।
रास्ते में कई दिक्कतों का सामना करने के बाद भी ज्योति ने हार नहीं मानी और करीब एक हफ्ते में साइकिल से 1000 किलोमीटर का सफर पूरा कर लिया। हाल ही में इस बहादुर लड़की की कहानी सोशल मीडिया तेजी से वायरल हो रही हैं। इतना ही नहीं लोग इस पिता और बेटी दोनों के जज्बे को सलाम कर रहे हैं।
1200 रुपए में खरीदी पुरानी साइकिल
एक वेब पोर्टल से बातचीत कर ज्योति ने बताया, उसके पिता एक्सीडेंट में घायल हो गए थे। पिता की बेबसी देखकर उसने घर बिहार लौट आने का फैसला किया। ज्योति ने पुरानी साइकिल खरीदने का फैसला किया। साइकिल के लिए 1200 रुपये में सौदा तय हुआ। उसने बताया कि साइकिल वाले को देने के लिए 1200 रुपये भी नहीं थे। ऐसे में हमने उनसे विनती की और 500 रुपये अब और 700 रुपये वापस आने के बाद देने की बात कही। इस पर वह राजी हो गए। ज्योति ने बताया, हमारे पास कोरोना सहायता के तौर 1000 रुपये मिले थे। उस में से 500 रुपये साइकिल वाले को दे दिए और 500 रुपये खर्चें के लिए रख लिए।
ज्योति ने आगे बताया की गुरुग्राम में खाने पीने तक के पैसे नहीं थे। मकान मालिक धमकी दे चुका था। मैंने पापा से साइकिल से चलने के लिए कहा, लेकिन पापा नहीं मानते थे। फिर मैंने जबरदस्ती की तो वह राजी हो गए। जब उनके घर लौटने के लिए रवाना होने की सूचना घर पहुंची तो मां फूलो देवी के चेहरे पर रौनक लौट आई। ज्योति अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा के सिंहवाड़ा स्थित अपने गांव सिरहुल्ली ले आई है।
बता दें कि ज्योति कुमारी राजकीय विद्यालय में आठवीं क्लास में पड़ती है उसके पापा गुरुग्राम में ई-रिक्शा चलते हैं। इस साल जनवरी महीने में ज्योति और मां फूलो देवी परिवार संग गुरुग्राम पहुंचे। वहीं ज्योति की मां फूलो देवी ने बताया कि वह आंगनबाड़ी केंद्र में काम करती है और 10 दिन की छुट्टी लेकर आए थे। ज्योति के पापा की तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से उसे गुरुग्राम में ही उसके पापा की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया था।