इस बार 4 नवंबर बुधवार को करवा चौथ का व्रत पड़ रहा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही हर साल करवा चौथ का व्रत आता है। अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत अहम होता है। ऐसी पांच बातें होती हैं जिनका ध्यान करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को रखना जरूरी होता है। चलिए इन बातों के बारे में आपको बताते हैं।
लाल रंग के वस्त्र पहनें
सुहाग की निशानी लाल रंग माना गया है। करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े इसलिए महिलाओं को पहनने चाहिए। इसलिए महिलाएं अपनी शादी का लहंगा या कोई भी लाल रंग का वस्त्र इस दिन धारण करें। दरअसल प्रेम का प्रतीक लाल रंग को मानते हैं।
अपनी बहू को सरगी सास दे
सरगी का महत्व करवा चौथ के व्रत पर बहुत होता है। करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी के बिना नहीं होती है। सास अपनी बहू को करवा चौथ के व्रत की सरगी देती है। व्रत के शुरु होने से पहले यह दी जाती है। कुछ मिठाइयां,कपड़े और श्रृंगार का सामान इस सरगी में रखा जाता है। करवा चौथ के दिन सूरज निकलने से पहले चार बजे सुबह उठकर बहू इस सरगी को खाती है। उसके बाद ही करवा चौथ के व्रत की शुरुआत होती है।
बाया भेजे अपनी बेटी को मां
सरगी के साथ-साथ बाया भी करवा चौथ पर बहुत अहम होता है। करवा चौथ को शाम के समय पूजा शुरु होने से पहले अपनी बेटी को बाया उसके घर या फिर उसे मां देती है। कुछ मिठाईयां, गिफ्ट, ड्राई फुट्स आदि यह सब बाया में रखे जाते हैं।
करवा चौथ के व्रत की कथा एकाग्र होकर सुनें
करवा चौथ पर व्रत और पूजा दोनों को बहुत महत्व होता है। करवा चौथ की कथ का भी महत्व उतना ही माना गया है। इसी वजह से करवा चौथ के व्रत की कथा को इस दिन बहुत ही एकाग्र से सुननी होती है। दरअसल कई ऐसी महिलाएं होती हैं जो एकचित्त होकर इस कथा को नहीं सुनती हैं। ऐसा लगता है कि उनका मन पूजा की बजाए कहीं और पर है। शास्त्रों के मुताबिक, इसे सही नहीं माना गया है। इसलिए इस व्रत की कथा को एकाग्र होकर महिलाओं को सुनना होता है।
गीत गाएं करवा चौथ के दिन शाम को
हमारे आस-पास की सभी महिलाएं एक जगह पर एकत्रित होकर करवा चौथ की पूजा करती हैं। लेकिन महिलाओं को चांद निकलने तक गीत गाने चाहिए। क्योंकि ऐसा करना शुभ माना गया है। इसलिए इस दिन आप भी अपनी आस-पास की महिलाओं के साथ गीत गाएं।