इस बार करवाचौथ का खास पर्व 17 अक्टूबर के दिन होगा। करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस खास दिन पर सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है। यह व्रत महिलाएं करवा माता का पूजन,व्रत रखकर पूरा करती है जिसके बदले में करवा माता प्रसन्न होकर व्रती महिला की हर एक इच्छा को पूरी करती है।
वैसे करवाचौथ का व्रत कुंवारी कन्याएं भी योग्य जीवनसाथी की कामना के लिए विधिवत करवा माता की पूजा करती है तो उनकी भी सभी मुरादें पूरी होंगी। तो आइए आपको बताते हैं कि करवा चौथ के दिन किस तरह से करवा मां का पूजन किया जाना चाहिए।
नष्ट होतें हैं सारे पाप
करवाचौथ का पर्व पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मनाती है। छान्दोग्य उपनिषद के मुताबिक करवाचौथ के दिन व्रत रखने से सभी पाप से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं की आयु में भी वृद्घि होती है।
करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू किया जाता है और रात के समय चंद्रमा को अध्र्य देकर एंव चंद्रमा की पूजा करके पूरा किया जाता है। पूजा करने के पश्चात मिट्टी के बने करवे में चावल,उड़द और सुहाग की सामग्री रखकर अपनी सास या अन्य किसी सुहागिन महिला को यह करवा भेंट किया जाता है।
इस प्रकार करें करवा माँ की पूजा-आराधना
करवाचौथ दिन पूजा वाली जगह बैठकर दाहिने हाथ में थोड़ा सा पानी एंव चावल लेकर व्रत करने का संकल्प लें। संकल्प लेते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- मंत्र- मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। इसको करवा धरना कहा जाता है।
शाम के वक्त पूजा करते समय ऐसी तस्वीर रखें जिसमें भागवान शिव,मां पार्वती और गणेशजी माता पार्वती की गोद में बैठे हो। मां पार्वती को सभी सामग्री अर्पित करें। शाम के समय चांद की पूजा करें। सुहागिन महिलाएं अपने पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलती है। पूजा करने के बाद अपने सास-ससूर का आर्शीवाद लें। हो सके तो कोरे करवा में जल भरकर करवाचौथ की व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करें।